Wednesday, June 17, 2015

A Motivational song of Life......देर लगी लेकीन


देर लगी लेकीन 
मैंने अब है जीना सीख लिया 
जैसे भी हो दिन
मैंने अब है जीना सीख लिया 

अब मैंने .......
ये जाना है , ख़ुशी है क्या ,गम क्या 
दोनों ही , दो पल की है ऋतू 
न यह ठहरे न रुके 
ज़िन्दगी दो रँगों से बने 
अब रूठे अब माने 
                                       ये तो है , येही तो है यहाँ  …।                                        

देर लगी लेकीन 
मैंने अब है जीना सीख लिया
आँसुओं के बीन  …। 
 मैंने अब है जीना सीख लिया
 अब मैंने ......
ये जाना है किसे कहूँ अपना 
है कोई जो ये मुझसे कह गया 
ये कहा तू रह गया 
ज़िन्दगी तोहै जैसे कारवाँ 
तू है तनहा कब यहाँ 
सभी तो है , सभी तो है यहाँ 


कोई सुनाए जो हस्ती मुस्कराती कहानी 
कहता है दिल मै भी सुनु 
आँसू भी मोती हो जो किसी के निशानी 
कहता है दिल मै भी चुनु 
बाँहें दिल की हो बाँहों में चलता 
चलूँ यूँही राहोँ में 
बस यूँही, अब यहाँ , कब वहाँ 

 देर लगी लेकीन 
मैंने अब है जीना सीख लिया
आँसुओं के बीन  …। 
 मैंने अब है जीना सीख लिया

है कोई जो ये मुझसे कह गया 
ये कहा तू रह गया 
ज़िन्दगी तोहै जैसे कारवाँ
तू है तनहा कब यहाँ 
सभी तो है , सभी तो है यहाँ
सभी तो है , सभी तो है यहाँ

Be Happy and Move on................















Tuesday, June 9, 2015

Hindi Motivational Video clip ........." जीवन यात्रा क्या है। "




जीवन क्या है , जीवन यात्रा क्या है। 
इच्छायों के बीच जीवन है या 
इच्छायों के गर्भ से ज्ञान का उदय होता है 
या अज्ञानता में ही जीवन जी रहे हो ?
ज्ञान वो जो कीचड़ से कमल बना दे… 
संघर्ष से शांति की और चल दे …

Hindi Motivation Video clip....." न्याय और अन्याय क्या है। "

 


न्याय  और अन्याय  क्या है। 
इस में क्या अंतर है। 
एक बार विचार जरूर करे 
 हम भी न्याय के रस्ते चलते चलते कही 
 अन्याय ही हमारी मंजिल न बन जाय।





Wednesday, June 3, 2015

The Song i like Most.....कर-कर मैं हारा हर जतन (kailash kher )



यूं तो तेरी याद में भी स्वाद है तेरा
पर आँखों को मनाऊं किस तरह
होंठों की मजाल क्या जो करे ये सवालपर दिल को मैं समझाऊं किस तरह
सत या असत है (ये) मैं क्या जानूं
जैसे सांसे तेरे बिना हुई गुम

कर-कर मैं हारा हर जतन
तेरी तड़प तेरी ही लगन
पर्दा ये जब हट जाएगा
अम्बर को धरती से मिलाऊंगा
मैं कर-कर मैं हारा...

भुला-भुला, खोया-खोया भटका फिरूँ मैं तेरी चाह में
तक-तक, अंख मुरझाई, पथराई तेरी आह में

आँखों में मेरी जो समाएगा
पंख बिना ही उड़ जाऊंगा
मैं कर-कर मैं हारा...

कभी-कभी धूप, कभी छांव, तू ही है पहचान लूं
या तो मुझे हंसा बना दे तो, मैं तुझे जान लूँ

खुशबू से जो तू बाहर आएगा
सूरज को गोद में खिलाऊंगा
मैं कर-कर मैं हारा..

                                               

Movie/Album: यात्रा - द नोमैडिक सोल्स (2009)
Music By: कैलाश खेर, नरेश कामथ, परेश कामथ
Lyrics By: कैलाश खेर
Performed By: कैलाश खेर

Monday, May 25, 2015

आशा और इच्छा - गीता सार ( A Motivation for life )




कभी कभी आशा और इच्छा के कारण मनुष्य दुःख और सुख का अनुभव करता है। लेकिन अपनी इच्छा को पूर्ण करने के लिए किसी से इच्छा या आपेक्षा करना कहा तक सही है। और हमारी इच्छा अगर पूरा न हो तो हम प्रतिशोद से भर जाते है। ये भी क्या सही है।

 

Wednesday, April 8, 2015

Hindi Motivational Poem on Nasha - Mukthi


आज मैं बतलाऊंगा, आपको अपने विचार,
नशे से हो जाता है जीवन ये बेकार|
 
पान-पत्ती छोड़ कर, खाओ सेब अनार,
उम्र बढ़ाने का सपना, कर लेना साकार|
 
चाय-कॉफ़ी छोड़ कर, पियो दूध निर्विकार,
इससे बनोगे स्वस्थ तुम, बस में होगा संसार|
 
छोडो रजनीगंधा, तुलसी और पान पराग,
वरना तुम हो जाओगे आदत से लाचार,
खांस खांस के मरोगे तुम, हो न सकेगा उपचार|
 
दारू-विस्की छोड़ कर, कर लो धर्म-ध्यान,
वरना फिर पछताओगे, हो न सकेगा कल्याण|
 
सादा जीवन, उच्च विचार, यह है हमारा नारा,
इस नारे को अपना कर, कर लो स्वप्न साकार|
 
अनमोल मनुष्य भाव है यह,
करना मत इसको बेकार,
धर्म-ध्यान तुम कर के,
हो जाओगे पार|

Friday, March 27, 2015

Hindi Motivational stories....हम आपका जीवन बचा सकते हैं


…हम आपका जीवन बचा सकते हैं

घने जंगल से गुजरती हुई सड़क के किनारे एक ज्ञानी गुरु अपने चेले के साथ एक साइन बोर्ड लगाकर बैठे हुए थे, जिस पर लिखा था- 'ठहरिए… आपका अंत निकट है! इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, रुकिए! …हम आपका जीवन बचा सकते हैं!'

एक कार फर्राटा भरते हुए वहां से गुजरी- चेले ने ड्राइवर को बोर्ड पढ़ने के लिए इशारा किया…
ड्राइवर ने बोर्ड की ओर देखकर भद्दी-सी गाली दी और चेले से यह कहता हुआ निकल गया- 'तुम लोग बियाबान के जंगल में भी धंधा कर रहे हो, शर्म आनी चाहिए!'

चेले ने असहाय नजरों से गुरुजी की ओर देखा। गुरुजी बोले - 'जैसे प्रभु की इच्छा!'

कुछ ही पल बाद कार के ब्रेकों के चीखने की आवाज आई और एक जोरदार धमाका हुआ।

कुछ देर बाद एक मिनी-ट्रक निकला। उसका ड्राइवर भी चेले को दुत्कारते हुए बिना रुके आगे चला गया।

कुछ ही पल बाद फिर ब्रेकों के चीखने की आवाज और फिर धड़ाम….!

गुरुजी फिर बोले- 'जैसी प्रभु की इच्छा!'
अब चेले से नहीं रहा गया। बोला- 'गुरुजी, प्रभु की इच्छा तो ठीक है, पर कैसा रहे यदि हम 
इस बोर्ड पर सीधे-सीधे लिख दें कि-

....
.....

'आगे पुलिया टूटी हुई है'… !!!'