पानी पर खीची गई लकीर
पानी पर खीची गई लकीर की कोई उम्र नहीं होती
जीवन भी लगभग ऐसा ही है
पता नहीं कब कूच करने का नगाड़ा बज जय
जीवन में ख़ुशी और गम के साथ एक अस्मंजसता बनी है
कल किसने देखा है कौन कब कैसे उठेगा कुछ पता नहीं है
अगर ये सत्य है तो हम सब को अभी सोचना होगा और करना होगा
अत : सौ काम छोड़कर सत्संग में जाना चाहिए और
हज़ार काम छोड़कर धर्म -ध्यान करना चाहिए
अगर आज ऐसा नहीं किया तो कल बहुत बुरा होगा
जैसे ...सोमवार को जन्म हुआ , मंगलवार को बड़े हुवे ,
बुधवार को विवाह हुआ , गुरुवार को बच्चे हुवे ,
शुक्रवार को बीमार पड़ गए , शनिवार को अस्पिताल गए
और रविवार को चल बसे ........
अपने दिल से पूछिए ...क्या येही ज़िन्दगी है
No comments:
Post a Comment