" अमानत है ज़िन्दगी "
एक गहरी बात ये है जो सत्य है और
हम सब जानते हुवे भी अन्जान रहते है
दुनिया में तुम्हारा अपना कोई नहीं है
जो कुछ तुम्हारे पास है वह एक अमानत है
बेटी है तो वह दामाद की अमानत है
बेटा है तो वह बहू की अमानत है
शारीर श्मशान की और ज़िन्दगी मौत की अमानत है
तुम देखना ....एक दिन बेटा बहू का हो जायेगा ,
बेटी को दामाद ले जायेगा ,
शारीर श्मशान की राख में मिल जायेगा
और ज़िन्दगी मौत से हार जायेगी .
कहना ये है की अगर ये सत्य है तो
अमानत को अमानत समझ कर ही उसकी
संभाल करना है और अगर उस पर
माल्कियत को जताया तो रोना पड़ेगा
क्यू की ये फिर अमानत में कायनात हो जायेगा
रिलैक्स या ख़ुशी का अनुभव करना है
तो अमानत को अमानत ही समझना है
No comments:
Post a Comment