शीतलाष्टमी
होली की सप्ताह समाप्ती को राजस्थान में बड़े ही धूम दम से मनाया जाता है और इस का आनंद एक मेले के
साथ मानते है जिस में सभी पुरुष और महिलाये भाग लेती है और इस का आनंद अपने आप में अलग होता है
जिस का नाम है शीतलाष्टमी और भी भारत के अनेख राज्य में उत्सव तो मनाया जाता है पर सब का अपना अपना आनंद है और इस का आनंद लेने के लिए हम रेडियो मधुबन की ओर से सतपुर गए आब़ू रोड के पास जहा परमपरा से इस उत्सव को मनाया जाता है शीतला देवी के मंदिर के पास बहुत ही सुंदर मेले का अयोजन
किया गया था सत्नीय लोगो की ओर से शाम को बड़ा ही रंग भर जाता है क्यू की शाम के समय आबू रोड के अस पास के सभी लोग वह आते है और पूजा करते है और एक से दो घंटे तक गेर चलता है गेर ये गुजरात का गरबा जैसा ही होता है लेकिन जैसे गरबा में (छोटे लकड़ी ) धन्दिया का उपयोग करते है वैसे ही गेर में बड़े लकडियो का प्रयोग किया जाता है और इस गेर में पुरुष ही खेलते है महिलाये नहीं खेलती ..और पुरुष ही महिलावो के अलग अलग वेशभूषा पहनकर खेलते है .. और जैसा अप गरबा देख कर खो जाते हो वैसे ही गेर को देख कर खो जाते है एक दो घंटे कैसे बीत जायेंगे कुछ पता ही नहीं चलेगा बस मंत्र मुग्ध हो जाते है गेर खेलते खेलते खेलनेवाले और देखने वाले .....
और लोगो का आना जाना लगा रहता है और मंदिर के पास ही गेर खेलते है और वाही पास में सब को शरबत
भी सत्नीय लोगो द्वारा सभी यात्रियों को पिलाया जाता है ..जिस में हलकी मात्रा में बांग मिलाया होता है
लोग इस मेले में पुरे परिवार के साथ आते है और बहुत ख़ुशी से इस मेल का आनंद उठाते है
अंत में इस आयोजन का मकसद क्या है ये पूछ ने पर पता चला की ....
इस मेले का मक्सद येही होता है की होली के उत्सव के साथ सब लोग एक साथ मिलजुलकर रहे अपास के भेद भव मिटाकर सब प्यार से रहे…. ऐसा M.l.A जगसीराम कोली ने कहा . जो इस मेले के विशेष अतिथी के रूप में वह आये हुवे थे .
"हम इतने स्वीट नहीं की डाबिटिएस हो जय
न इतने नमकीन की बी .पी बढ जय
न इतना टेस्टी की मज़ा आ जय
पर इतने कड़वे भी नहीं की याद न आये "
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