मेरे प्रश्नों पे भी हल गए
छलने वालों को जो छल गए
सिक्के वो ही यहाँ चल गए
हम कहानी ही लिखते रहे
वह उपन्यास में ढल गए
हल चले तो ये धरती कहे
मेरे प्रश्नों पे भी हल गए
वह उमर में पचहतर हुए
रस्सी जल के नहीं बल गए
शक में सन्देह में जो रहे
उनके विश्वास भी गल गए
कह गए अब नहीं आएंगे
आज आए है जो कल गए
जिनको शोले जला ना सके
प्यार की आग में जल गए
राव अजातशत्रु
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