कृतग्यता
मैं कृतग्य हूँ
उस जीवन के प्रति
जो मुझमें
और तमाम अन्य जीवों में
लगातार साँसें ले रहा है
मैं कृतग्य हूँ
उस सूरज के प्रति
जिसने ऊर्जा भेजने में
कभी कोई चूक नही की
और जिसके बिना अकल्पनीय थी हमारी सृजना
मैं कृतग्य हूँ
उस प्रकृति के प्रति
जिसने हवा, पानी, पेड़, बादल, बिजली, बारिश, फूल और खूशबू जैसी चीजें बनाई
और उन पे किसी का जोर नही रखा.
मैं कृतग्य हूँ
प्रत्येक सृजन और उसके लिए मौजूद मिट्टी के प्रति
मैं आँसू, हंसी, शब्द, शोर और मौन जैसी
चीज़ो के प्रति भी कृतग्य हूँ
जो मेरी कविता का हिस्सा बनते हैं
और अन्त में
उन सब चीज़ो के प्रति
जो अस्तित्व में हैं और जिनकी वजह से दुनिया सुंदर बनी हुई है
मैं कृतग्य हूँ
अपने शिव बाबा के प्रति
जिनके आर्शीवाद के बिना
यह कृतग्यता का भाव न होता...
कृतग्यता एक विधि है जिस के द्वारा आप अपने जीवन को सुखदायी बना सकते हो उठते बैटते चलते फिरते बस धन्यवाद दे सब को जो आपके पास है और जो आप से दूर है ये समझे पूरा संसार ईश्वर ने आपके लिए रचा है . अपने ये लिकत इतने प्यार से पढ़ा इस के लिए आपको भी बहुत धन्यवाद ....
धन्यवाद।।।।।धन्यवाद।।।।।
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