स्तनपान के फ़ायदे....
स्तनपान के अनेक फ़ायदे हैं। नवजात शिशु के लिए माँ के दूध से बेहतर और कोई भी दूध नहीं होता है।
इससे दोनों माँ और बच्चे को अनेक लाभ पहुँचता है। स्तनपान के अनेक फ़ायदे हैं-
माँ का दूध सुपाच्य होता है जिससे यह शिशु को पेट सम्बन्धी गड़बड़ियों से बचाता है।
स्तनपान शिशु की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक होता है।
स्तनपान से दमा और कान सम्बन्धी बीमारियाँ नियंत्रित रहती है, क्योंकि माँ का दूध शिशु की नाक और गले में प्रतिरोधी त्वचा बना देता है।
स्तनपान से जीवन के बाद के चरणों में उदर व श्वसन तंत्र के रोग, रक्त कैंसर, मधुमेह तथा उच्च रक्तचाप का ख़तरा कम हो जाता है।
स्तनपान से शिशु की बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है क्योंकि स्तनपान कराने वाली माँ और उसके शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता प्रगाढ़ होता है।
स्तनपान कराने वाली माताओं को स्तन या गर्भाशय के कैंसर का ख़तरा कम होता है।
शोधों से सिद्ध हुआ है कि लम्बे तक स्तनपान करने वाले बच्चे बाद के जीवन में उतने ही अधिक समय तक मोटापे से बचे रह सकते हैं।
माँ के दूध में मिलने वाले तत्त्व मेटाबोलिज्म बेहतर करते हैं।
गर्भावस्था के समय या स्तनपान के दौरान माँ का जो भी खान-पान रहता है वह बाद में बच्चे के लिए भी पसंदीदा बन जाता है।
माँ के दूध में पाए जाने वाले डी.एच.ए.(D.H.A.) व ए.ए.(A.A.) फैटी एसिड मस्तिष्क की कोशिकाओं के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
स्तनपान से बच्चे का आई. क्यू. (Intelligence Quotient) अच्छी तरह विकसित होता है।
कृत्रिम दूध और माँ के दूध में अंतर.....
कृत्रिम दूध, माँ के दूध की गुणवत्ता, का अनुकरण करने की कोशिश कर सकता है, लेकिन सही मायने में यह अनुकरण हो ही नहीं सकता है।
यह इसलिए कि माँ के दूध में अनेक गुणधर्म हैं, जिनका अनुकरण करना नामुमकिन है। कृत्रिम दूध में माँ के दूध के जैसी सामग्री कार्बोहाइड्रेट,
प्रोटीन, वसा और विटामिन इत्यादि डाल दिए जाते हैं, किंतु इनकी मात्रा नियत रहती है। माँ के दूध में इनकी मात्रा बदलती रहती है।
कभी माँ का दूध गाढा रहता है तो कभी पतला, कभी दूध कम होता है तो कभी अधिक, जन्म के तुरंत बाद और जन्म के कुछ हफ्तों बाद या महीनों बाद बदला रहता है।
इससे दूध में उपस्थित सामग्री की मात्रा बदलती रहती है, और यह प्रकृति का बनाया गया नियम है कि माँ के दूध में बच्चे की उम्र के साथ बदलाव होते रहते हैं।
भौतिक गुणवत्ता के अलावा, माँ के दूध में अनेक जैविक गुण होते हैं, जो कि कृत्रिम दूध में नहीं होते हैं।
उदाहरण के लिए माँ के दूध देने से माँ-बच्चे के बीच लगाव, माँ से बच्चे के रोग से बचने के लिए प्रतिरक्षा मिलना और अन्य।
इसके बावज़ूद जिन माँ को अपना दूध नहीं हो पाता है, उनके लिए फ़िर यही जानवर या कृत्रिम दूध का सहारा होता है। इसके बारे में अन्य जगह ज़िक्र किया गया है।
माँ को लाभ | बच्चे को लाभ |
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माँ को बच्चे से लगाव | खाने की प्राप्ति |
संतुष्टि | बच्चे का पूर्ण विकास |
बोतल के दूध को बनाने और साफ़ करने के झंझट से बचना | प्रतिरक्षा या इम्युनिटी (immunity) में बढ़ाव |
फ्री- पैसा बचाना | बुद्धि में विकास |
सदा उपलब्ध- दिन में या रात में, घर में या बाहर में | संक्रमित बीमारियों से बचाव, जैसे कि दस्त और चर्म रोग |
अपने ऊपर भरोसा | एलर्जी से बचाव |
माहवारी को रोकना, जो कि तुरंत फिर गर्भ होने को रोक सकता है | मोटापा से बचाव |
अपने बच्चे को संक्रमित बीमारियों से बचाना जो कि गंदे बोतल या उसके निप्पल से हो सकती हैं | माँ-बच्चे के बीच लगाव |
माँ का दूध सर्वोतम आहार
- एकनिष्ठ स्तनपान का अर्थ जन्म से छः माह तक के बच्चे को माँ के दूध के अलावा पानी का कोई ठोस या तरल आहार नहीं देना चाहिए।
- माँ के दूध में काफ़ी मात्रा में पानी होता है जिससे छः माह तक के बच्चे की पानी की आवश्यकताऐं गर्म और शुष्क मौसम में भी पूरी हो सकें।
- माँ के दूध के अलावा बच्चे को पानी देने से बच्चे का दूध पीना कम हो जाता है और संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाता है।
- प्रसव के आधे घण्टे के अन्दर-अन्दर बच्चे के मुँह में स्तन देना चाहिए।
- ऑपरेशन से प्रसव कराए बच्चों को 4- 6 घण्टे के अन्दर जैसे ही माँ की स्थिति ठीक हो जाए, स्तन से लगा देना चाहिए।
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