मुझे ख़ुशी है की शांतिदूत युवा साइकिल यात्रा २०१३ (आबू रोड से भीनमाल) में जाने का चान्स मिला
साइकिल यात्रा का नाम सुना कर ही में मनो मन अपने को तयार कर लिया था पर दिल में ये भी था की कैसे सेवा होगा और साइकिल चलने का आदत तो कम था पर मन में था की बाबा सब कुछ सिखा देगा और शक्ति भी देगा तो जैसा सोचा था वैसे ही हुवा .
ट्रेनिंग मिलने के बाद एक विश्वास बढ़ा और फिर निश्चिंत होकर साइकिल यात्रा पर निकाल पढ़े। ज़ैसे जैसे यात्रा आगे बड़ा वैसे वैसे मुझे बहुत कुछ सीकने को मिला और अपनी छुपी हुयी प्रतिभा को प्रतक्ष करने का मोख भी मिला। स्कूल और कॉलेज में बोलने का मोख मिला और एक ड्रामा भी किया (नारद और विष्णु का संवाद ) जो लोगो को और टीम को काफी पसंद आया और जिस से मेरे दिल का होसला बुलंद हुवा।
कुछ विशेष अनुभव भी रहा साइकिल चलते चलते कभी कभी ऐसा भी
लगा की साइकिल मै नहीं साइकिल अपने आप चल रही हो में साइकिल पर हु और चला
कोई और रहा है कुछ पल ऐसे अनुभव रहा जैसे परमात्म प्यार की रिम जिम मेरे
ऊपर हो रहा है ये अनुभव मेरे जीवन का एक यादगार पल जो में कभी भूल नहीं
सकता।
उज्वल भारत के निर्माण के लिए मेरी ओर से एक
बूंद का भी सहयोग हुवा हो तो ये मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात है और ऐसे शुभ
कार्य के लिए सेवा के लिए में समय देता रहूँगा
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