मैं सर्व की आराध्य देवी माँ लक्ष्मी हूँ। …
हम
सब ये जानते है कि नवरात्री में देवियों की पूजा
होती है। देवियों को शक्ति के रूप में याद किया जाता है। हर रोज एक देवी की
विशेष शक्ति को याद किया जाता है और उनकी उसी रूप में गायन भी किया जाता
है। जैसे माँ लक्ष्मी को चाहे न चाहे लेकिन माँ लक्ष्मी तो सब की आराध्य
देवी है इन से सभी धन और सम्पत्ति की माँग करते रहते है। तो आईये आज हम
सब अपनी आत्मिक स्वरूप में बैठकर परमात्मा शिव से मिलकर माँ लक्ष्मी का
आवाहन करेंगे और पूरी सृष्टि को अकूट ज्ञान धन गुण रूपी हीरे मोतियो से
सुसज्जित कर सुख समृद्धि का अखूट भण्डारा से सब को भरपूर करे। । तो चलिए
इस रूहानी यात्रा पर....
अपन
को संसार की बातों से अलग कर स्वम् को आत्मा निश्चय कर। ………मन और बुद्धि
के संकल्प द्वारा परमधाम की ओर उड़ान भरें। …पर आत्मा विश्वास के साथ। .
मैं आत्मा इस आवाज़ की दुनियाँ से दूर सूरज, चाँद , सितारों से पार …
जहाँ बहुत शान्ति है चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश है। इस
प्रकाशमय लोक में पहुंच गयी हुँ.... ऐसी शुक्ष्म अलोक में प्यारे बापदादा
मेरा स्वागत कर रहे है। मैं आत्मा
बापदादा की गोद में पहुँच कर अतीन्द्रया सुख महसूस कर रही हूँ … बापदादा
का स्नेह मुझ आत्मा को तृप्त कर रहा है। ...................
बापदादा के साथ मैं आत्मा एक ओर उड़ान भरते हुवे परमधाम में पहुंच गयी
हूँ जहाँ न आवाज़ है न संकल्प बस डेड साइलेंस है। ……………… मेरी आत्मा परमधाम
में परमात्मा के मिलन में डूब गयी है।
बिन्दु रूप अवस्था में खो गयी है। बीज रूप में ठीक गयी है। ......................
परम शान्ति में खो गयी है। ............. शान्ति , शान्ति और शान्ति।
यही वो महा मिलन है जिस से मेरी आत्मा शक्ति रूप धारण करती है। ( कुछ
देर इसी अवस्था में रहे )
अब
मुझ आत्मा को सच्ची शान्ति का एहसास हो चूका है। शान्ति में ही सब कुछ है।
शान्ति ही शक्ति का आधार है। और मै आत्मा शक्ति स्वरूपा बन गयी हूँ मुझ
आत्मा में सम्पूर्ण शक्ति आ गयी है और में आत्मा परमात्मा से मिलकर अब किसी
भी देवी अलंकार को धारण कर विश्व सेवा कर सकती हूँ।
मैं आत्मा अब धीरे धीरे परमधाम से निकल कर शांति की शक्ति से सम्प्पन
में शुक्ष्म लोक में आ गयी हूँ यहाँ में और बापदादा दोनों कम्बाइन है में
आत्मा शिव शक्ति बन गयी हूँ। मुझे याद आ रहा है कल्प पहले भी में ऐसे ही
शिवशक्ति बन विश्व कल्याण के कार्य में सहयोगी बनी थी।
बाबा
मेरे सामने एक दृश्य इमर्ज कर रहे है और में आत्मा उस में सहयोगी बनती जा
रही हूँ। शुक्ष्म लोक में एक बहुत बड़ा ग्लोब है और उसमें रहने वाली सभी
आत्माएं अपना स्वराज्य खो चुकी है । दुखी अशांति और कंगाल है। ये सब देखकर
में आत्मा बाबा के ईशारे को समझ गयी और बाबा के साथ मिलकर अपने पवित्र
स्वरुप में टिक गयी। और में शिवशक्ति माँ लक्ष्मी देवी बन गयी। मैं
शिव स्वरूपा माँ लक्ष्मी बन गयी और बापदादा से मिलकर सम्पूर्ण ग्लोब को
पीले रंग की किरनो की वर्षा सृष्टि पर कर रही हूँ । ……
परमधाम
से पीले रंग किरणे आ रही है सूक्ष्म लोक में आ रही है और मुझ आत्मा को
स्रपर्श कर रही है और ये किरणे अनेक किरणे के रूप में बढ़ते हुवे मुझ आत्मा से निकल कर सृष्टि के सभी आत्माओ को मिल रही है धीरे धीरे अब ये पीले रंग की किरणे पुरे सृष्टि को कवर कर रही है।
इस
अवशता में को जाइए इस दृश्य को देखते रहिये बापदादा और आप कम्बाइन है माँ
लक्ष्मी देवी शिवशक्ति बन विश्व की सबी आत्माओं को ज्ञान धन गुण रूपी हीरे मोतियो से भरपूर कर रही है
… ……… में
मैं सर्व की आराध्य देवी माँ लक्ष्मी हूँ। ..........
मैं सर्व की आराध्य देवी माँ लक्ष्मी हूँ। ..........
अब धीरे धीरे बापदादा से मिलान मानते हुवे दृष्टी लेते हुवे मैं शिव स्वरूपा माँ लक्ष्मी की इसी स्वमान को याद करते हुवे आप नीचे की ओर आ रहे है। और अपने शरीर में प्रवेश कर रहे हो।
मैं हर कार्य शान्ति में रहकर करुँगी ………अपने स्वधर्म को याद करते हुवे कर्म करुँगी। …आज पुरे दिन में बीच बीच में मैं शिव स्वरूपा माँ लक्ष्मी देवी हूँ इस स्वमान का भी अभ्यास करते रहना है। …
No comments:
Post a Comment