दादी जानकी जी ......
आध्यात्मिकता किसी आश्रम में रहने की बात नहीं है। दादी जानकी का जो तीसरा चारित्रिक गुण है, वह यह कि वह प्रत्येक प्रश्न, प्रत्येक समस्या को उसके शुद्धतम रूप में, उसकी जड़ में जाकर समझती है। दादी जी से जब कोई सवाल करता है चाहे वो बड़ा हो या छोटा हो दादी उसे सुनती है और उसे अपने चेतना के साथ जोड़कर उसका जवाब ढूंढ़ती है। इस से मैंने ये सीखा की हम सब के अंदर एक अदृश्य शक्ति है और उस का उपयोग नहीं करते है लेकिन दादी उसका उपयोग बखूबी करती है। इस लिए उनका जवाब सब के अन्तकरण को छू लेता है। और दादी जब भी बात करती है तो वो दर्शकों के सर्वभौमिक प्रकृति और स्वाभाव की बात करती है जो हम सब की एकता है आध्यत्मिक एकता है जीवन में हम सब को इस पर काम करना है जो सत्य है वास्तविकता है। दादी जो कुछ कर रही है उसके लिए आत्माबल चाहिए अगर हम भी इस तरह कुछ करे तो दुनिए के विपरीत दिशा में जायेंगे। जहाँ दादी बहुत आगे निकल चुकी है। दादी के कदम के निशान पे भी अगर हम चलेंगे तो आज हम दुनिया की जिन तमाम मसालों पर जहा हम लंबी बहस कर रहे है वो न कर अमन और शांति की अनुभूति में लग गए होते।
आध्यात्मिकता किसी आश्रम में रहने की बात नहीं है। दादी जानकी का जो तीसरा चारित्रिक गुण है, वह यह कि वह प्रत्येक प्रश्न, प्रत्येक समस्या को उसके शुद्धतम रूप में, उसकी जड़ में जाकर समझती है। दादी जी से जब कोई सवाल करता है चाहे वो बड़ा हो या छोटा हो दादी उसे सुनती है और उसे अपने चेतना के साथ जोड़कर उसका जवाब ढूंढ़ती है। इस से मैंने ये सीखा की हम सब के अंदर एक अदृश्य शक्ति है और उस का उपयोग नहीं करते है लेकिन दादी उसका उपयोग बखूबी करती है। इस लिए उनका जवाब सब के अन्तकरण को छू लेता है। और दादी जब भी बात करती है तो वो दर्शकों के सर्वभौमिक प्रकृति और स्वाभाव की बात करती है जो हम सब की एकता है आध्यत्मिक एकता है जीवन में हम सब को इस पर काम करना है जो सत्य है वास्तविकता है। दादी जो कुछ कर रही है उसके लिए आत्माबल चाहिए अगर हम भी इस तरह कुछ करे तो दुनिए के विपरीत दिशा में जायेंगे। जहाँ दादी बहुत आगे निकल चुकी है। दादी के कदम के निशान पे भी अगर हम चलेंगे तो आज हम दुनिया की जिन तमाम मसालों पर जहा हम लंबी बहस कर रहे है वो न कर अमन और शांति की अनुभूति में लग गए होते।
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