ॐ शांति
एक आध्यात्मिक गुरु या नेता या अभिनेता वही होता जिनके अन्दर एक रूपांतरण या परिवर्तन करने की शक्ति या क्षमता हो। आप उन लोगों को पहचान सकते है, क्यों कि वे केवल अपने अस्तित्व द्वारा आपके जीवन में बदलाव ला पाए है। कुछ लोग संसार में ऐसे भी जो अच्छा बोल सकते है, वो आपको ज्ञान दे सकते है, पर वे आपके लिए सबकुछ नहीं है। जैसे दादी जानकी जी को एक बार मिलते ही मेरे अंदर एक रूपांतरण हुआ और मैं दादीजी को अपना आदर्श मनने लगा। ऐसा बहुत बार हुआ की मै बहुत से गुरु या नेताओं से मिलता रहा पर दादीजी की एक मुलाकात मेरे जीवन का यादगार पल बन गया। और मुझे बार बार इस पर सोचने या मंथन करने के लिए महबूत किया।
हम सब चाहते है भाईचारा हो, घृणा ना हो, विरोध ना हो अगर ऐसा होता भी है तो हमारी योग्यता हो आध्यात्मिक प्रेम को साझा करने की। जैसे दादी का व्यक्तित्व आदर्श और वास्तविकता में कहीं भी ब्रेक डाउन नहीं है चाहें वो कही भी रहे। योग्यता मुलभुत रूप से एक व्यक्ति के चैतन्य के स्तर से जुडी हुई है।
जितना ही आपका चैतन्य का स्तर कम होगा, उतना ही अमृत और विष में अंतर करने या समझने की योग्यता कम होगी। जितना आपकी चैतन्य का स्तर ऊचा होगा उतना आपकी योग्यता ज्यादा होगा।
आप किसी से पूछते है ," क्या आप प्रेम करते है ?" तो कहेगा ," हाँ मैं प्रेम करता हूँ ," पर हकीकत ये है जहाँ उसे प्रेम करना है वो प्रेम वहा नहीं दिखता। जैसे की संघर्ष के समय प्रेम होना चहिये पर नहीं है। और जिन्हें हम पसंद नहीं करते है वहा प्रेम होना चाहिये। ये भी मनुष्य की योग्यता पर है जो सब में नहीं है ये कुछ लोगो में है जैसे दादी जानकी जी मैं मैंने देखा।
एक आध्यात्मिक गुरु या नेता या अभिनेता वही होता जिनके अन्दर एक रूपांतरण या परिवर्तन करने की शक्ति या क्षमता हो। आप उन लोगों को पहचान सकते है, क्यों कि वे केवल अपने अस्तित्व द्वारा आपके जीवन में बदलाव ला पाए है। कुछ लोग संसार में ऐसे भी जो अच्छा बोल सकते है, वो आपको ज्ञान दे सकते है, पर वे आपके लिए सबकुछ नहीं है। जैसे दादी जानकी जी को एक बार मिलते ही मेरे अंदर एक रूपांतरण हुआ और मैं दादीजी को अपना आदर्श मनने लगा। ऐसा बहुत बार हुआ की मै बहुत से गुरु या नेताओं से मिलता रहा पर दादीजी की एक मुलाकात मेरे जीवन का यादगार पल बन गया। और मुझे बार बार इस पर सोचने या मंथन करने के लिए महबूत किया।
हम सब चाहते है भाईचारा हो, घृणा ना हो, विरोध ना हो अगर ऐसा होता भी है तो हमारी योग्यता हो आध्यात्मिक प्रेम को साझा करने की। जैसे दादी का व्यक्तित्व आदर्श और वास्तविकता में कहीं भी ब्रेक डाउन नहीं है चाहें वो कही भी रहे। योग्यता मुलभुत रूप से एक व्यक्ति के चैतन्य के स्तर से जुडी हुई है।
जितना ही आपका चैतन्य का स्तर कम होगा, उतना ही अमृत और विष में अंतर करने या समझने की योग्यता कम होगी। जितना आपकी चैतन्य का स्तर ऊचा होगा उतना आपकी योग्यता ज्यादा होगा।
आप किसी से पूछते है ," क्या आप प्रेम करते है ?" तो कहेगा ," हाँ मैं प्रेम करता हूँ ," पर हकीकत ये है जहाँ उसे प्रेम करना है वो प्रेम वहा नहीं दिखता। जैसे की संघर्ष के समय प्रेम होना चहिये पर नहीं है। और जिन्हें हम पसंद नहीं करते है वहा प्रेम होना चाहिये। ये भी मनुष्य की योग्यता पर है जो सब में नहीं है ये कुछ लोगो में है जैसे दादी जानकी जी मैं मैंने देखा।
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