दादी जानकी जी
एक रेशम की डोर जैसा उनकी ज्ञान की शुद्धता है ज्ञान रत्नों की चमक उनके पास है और वो चमक हर कोई जो उनसे मिलता है वो उस ज्ञान की चमक का अनुभव करता ही है चाहे वो कुछ सेकंड के लिए ही मिले हो। ज्ञान की सुंदरता से वो भरपूर है उनके हर शब्द हमारे हृदय के अंतरंग को छू लेते है। और हमें भी उस परम शक्ति को पा लेने की स्वत प्रेरणा देती है।
दादी जी कहती है हमें सिर्फ आत्मा का पाठ नहीं पढ़ना है लेकिन आध्यात्मिक शक्तियों का अनुभव करना है ज्ञान की गहराइयो में जाकर जीवन जीने का रास्ता ढूंढना है ज्ञान सिर्फ सुनने तक न हो बल्कि हमारे हर कर्म में ज्ञान का दर्शन हो।
दादी जानकी के साथ के वार्तालाप में एक अनोखा एकरूपता है और बड़ी दिलचस्प बात ये है की उनके शब्दों में कोई मिश्रण नहीं है आज ये है तो कल वो है। दादी को अपनी यात्रा का ज्ञान है ऐसे नहीं जैसे आप सिर्फ ड्राइवर के सीट पर बैठे हो और स्टेरिंग पर हाथ है और कोई दूसरा रास्ता बता रहा हो नहीं दादी को अच्छी तरह पता है कहा जाना है उसका पूरा नक्शा उनके बुद्धि में है।
एक रेशम की डोर जैसा उनकी ज्ञान की शुद्धता है ज्ञान रत्नों की चमक उनके पास है और वो चमक हर कोई जो उनसे मिलता है वो उस ज्ञान की चमक का अनुभव करता ही है चाहे वो कुछ सेकंड के लिए ही मिले हो। ज्ञान की सुंदरता से वो भरपूर है उनके हर शब्द हमारे हृदय के अंतरंग को छू लेते है। और हमें भी उस परम शक्ति को पा लेने की स्वत प्रेरणा देती है।
दादी जी कहती है हमें सिर्फ आत्मा का पाठ नहीं पढ़ना है लेकिन आध्यात्मिक शक्तियों का अनुभव करना है ज्ञान की गहराइयो में जाकर जीवन जीने का रास्ता ढूंढना है ज्ञान सिर्फ सुनने तक न हो बल्कि हमारे हर कर्म में ज्ञान का दर्शन हो।
दादी जानकी के साथ के वार्तालाप में एक अनोखा एकरूपता है और बड़ी दिलचस्प बात ये है की उनके शब्दों में कोई मिश्रण नहीं है आज ये है तो कल वो है। दादी को अपनी यात्रा का ज्ञान है ऐसे नहीं जैसे आप सिर्फ ड्राइवर के सीट पर बैठे हो और स्टेरिंग पर हाथ है और कोई दूसरा रास्ता बता रहा हो नहीं दादी को अच्छी तरह पता है कहा जाना है उसका पूरा नक्शा उनके बुद्धि में है।
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