1–ये जीवन चार दिन का है चार दिन बीत जाएगा।
पता तुझको नहीं होगा चार दिन बीत जाएगा।
तो हंस ले जिंदगी की हर घड़ी अनमोल है प्यारे।
तुम्हें हर पल हंसाने के लिए वो गीत गाएगा
ये जीवन चार दिन का है चार दिन बीत जाएगा।
2–चार दिन के लिए इंसान यहां पर घर बना लेता।
और कहता है कि अपना है कुछ अपनों को बना लेता।
ये अपना घर और अपने लोग एक दिन छूट जाएगा।
जिसे कहता है अपना है वही यह गीत गाएगा।
ये जीवन चार दिन का है चार दिन बीत जाएगा।
3– ना हो अनबन किसी से भी बहुत प्यारी ये दुनिया है।
सभी को मान लो अच्छा बहुत न्यारी ये दुनिया है।
मुसाफिर का ये खाना है किसी से बैर न रखना।
तुम्हें अंतिम विदाई में तुम्हारा मीत आएगा।
ये जीवन चार दिन का है चार दिन बीत जाएगा।
4–चार दिन का खिलौना एक पल में टूट जाना है।
तू अमर है खिलौना छोड़कर तुझको तो जाना है।
बहाना ना चलेगा जब बुलाने मीत आयेगा।
जब चल जाएगा तो यह जमाना गीत गाएगा।
ये जीवन चार दिन का है चार दिन बीत जाएगा।
5–याद कर ले तू हर पल वो ही पल तेरे काम आएगा।
जो करना आज कर ले कल नहीं तेरे काम आएगा।
समय रुकता नहीं जीवन का हर पल बीत जाएगा।
आज हम जा रहे हैं कल हमारा मीत जाएगा।
ये जीवन चार दिन का है चार दिन बीत जाएगा।
6–महल जिसमें तू रहता है सुना है दस दरवाजे हैं।
दसों में दस तरह की साज मलिक ने ही सजे हैं।
मैं मना है बहुत सुंदर महल पर है किराए का।
किराए का महल है एक दिन ये छूट जाएगा ।
ये जीवन चार दिन का है चार दिन बीत जाएगा।
ओम शांति*
रचनाकार *–सुरेश चंद्र केशरवानी*
(प्रयागराज शंकरगढ़)
मोबाइल नंबर –9919245170
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