Thursday, October 10, 2013

" खुद के लिए समय जरुर दे "







जीवन में हम सब बिजी जरुर है पर सरे कार्य करते हुवे भी हमको अपने लिए समय देना होगा . ऐसा करने से हम अपने आप को ही सुख दे साकेंगे और जो  सुखी है वाही दूसरो को सुख दे सकता है  एक और बात ये भी हो सकता है हमको  कुछ नया सोचने का भी मोखा मिलेंगा और अच्छा करने की एनर्जी भी मिलेंगी। 
                     
                           इस लिए खुद को पुरे दिन में थोडा समय जरुर दे सुना है जो अपने लिए समय देता है  वाही दूसरो को भी समय दे सकता है। …

Monday, October 7, 2013

Shantidoot Yuva Cycle Yatra-2013


                    

om shanti  It was a pleasure to be a part of shantidoot yuva cycle yatra 2013 it was a mission to establish a 
Dream of glorious India  in all youth whoever come across. awareness is the first step for working together.
So come together and start working for Glorious  India.



            



Shantidoot Yuva Cycle Yatra-2013


मुझे ख़ुशी है की  शांतिदूत युवा साइकिल यात्रा २०१३  (आबू रोड से भीनमाल)  में जाने का चान्स  मिला
 साइकिल यात्रा का नाम सुना कर ही में मनो मन अपने को तयार कर लिया था पर दिल में ये भी था की कैसे सेवा होगा और साइकिल चलने का आदत तो कम था पर मन में था की बाबा सब कुछ सिखा  देगा और शक्ति भी देगा तो जैसा सोचा था वैसे ही हुवा .
  ट्रेनिंग मिलने के बाद एक विश्वास बढ़ा और फिर निश्चिंत होकर साइकिल यात्रा पर निकाल पढ़े। ज़ैसे जैसे यात्रा आगे बड़ा वैसे वैसे मुझे बहुत कुछ सीकने को मिला और अपनी छुपी हुयी प्रतिभा को प्रतक्ष करने का मोख भी मिला।  स्कूल और कॉलेज में बोलने का मोख मिला और एक ड्रामा भी किया (नारद और विष्णु का संवाद ) जो लोगो को और टीम को काफी पसंद आया और जिस से मेरे दिल का होसला बुलंद हुवा।
साइकिल चलते समय बहुत कड़ी धुप का सम्माना किया और तीन दिन बारिश में भी साइकिल चलने का अनुभव किया ये भी हमारे लिए और मेरे लिए एक विशेष अनुभव रहा घर में रहते तो बारिश के समय तो बहार ही नहीं निकलते और यात्रा में तो बहुत ख़ुशी से मौसम का आनंद उठाते साइकिल यात्रा किया और साथ साथ विशेष कार्यक्रम भी किये
ये सब बाबा की कृपा ही था जो मुझे शक्ति दिया और हम ऐसा कर पाए  अंत में मै येही कहना चाहुगा की अगर फिर से ऐसा मोख मिले तो जरुरु में साइकिल यात्रा करना चाहूँगा
और आप से भी कहूँगा की आप भी ऐसे स्वर्णिम औसर का अवश्य लाभ ले जो ख़ुशी मुझे मिली है वो आपको भी प्राप्त हो ये मेरी शुभ कामनाये।
कुछ विशेष अनुभव भी रहा साइकिल चलते चलते कभी कभी ऐसा भी लगा की साइकिल मै  नहीं साइकिल अपने आप चल रही हो में साइकिल पर हु और चला कोई और रहा है कुछ पल ऐसे अनुभव रहा जैसे परमात्म प्यार की रिम जिम मेरे ऊपर हो रहा है   ये अनुभव मेरे जीवन का एक यादगार पल जो में कभी भूल नहीं सकता।
उज्वल भारत के निर्माण के लिए मेरी ओर से एक बूंद का भी सहयोग हुवा हो तो ये मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात है और ऐसे शुभ कार्य के लिए सेवा के लिए में समय देता रहूँगा


                                          

Thursday, September 12, 2013

" आप इतना खुश रहो "

" आप इतना खुश रहो "

 

आप इतना खुश रहो जैसे इस फोटो मे
खुशी को दर्शाया है

आपकी खुशी इतनी हो  की जो भी
आप से मिले वो खुश हो जय
और आपकी खुशी नीले आसमान तक जा मिले

आप इतना खुश रहो जैसे इस फोटो मे
खुशी को दर्शाया है

कल रात एक सपना देखा
आपकी आँखो मे नया दुनिया देखा
जहा खुशी आपके चहरे पर थी
आपके आस पास जो भी लोग थे
वो सब रस करते नज़र आए

आप इतना खुश रहो जैसे इस फोटो मे
खुशी को दर्शाया है

एक बात मै  और कहना चाहूँगा
एक बार फोटो को ध्यान से देखना
खुशी उन्हे ही मिलती है
जिनके पाव धरती से उपर हो और
आसमान को छूने  की तम्मना दिल मे हो

आप इतना खुश रहो जैसे इस फोटो मे
खुशी को दर्शाया है

Wednesday, September 11, 2013

Re Kabira Maan Jaa.. (Hindi Lyrics)

हा आ आ  हा न। ।रे

कैसी तेरी ख़ुदग़रजी 

ना धूप चुने ना छाव
कैसी तेरी ख़ुदग़रजी

किसी तौर टीके ना पाव

कैसी तेरी ख़ुदग़रजी 

ना धूप चुने ना छाव
कैसी तेरी ख़ुदग़रजी 

किसी तौर टीके ना पाव

बन लिया अपना पैगंबर

तैर  लिया तू सात समंदर

फिर भी सूखा मन  के अंदर

क्यूँ रहेगा

रे कबीरा मान जा

रे फकीरा मान जा

आजा तुझको पुकारें

तेरी परच्छाइयाँ


रे कबीरा मान जा 
रे फकीरा मान जा 

कैसा तू है निर्मोही कैसा हरजैइ 

टूटती चारपाई वोही

ठंडी पुरवाई  रास्ता देखें
दूधो  की मलाई वोही

मिट्टी की सुराही रास्ता देखें

कैसी तेरी ख़ुदग़रजी

लब नाम तेरा मेरा मिशरी

कैसी तेरी ख़ुदग़रजी

तुझे प्रीत पुरानी बिसरी

मस्त मौला, मस्त कलंदर

तू हवा का एक बवंडर

बुझ के यूँ अंदर ही अंदर

क्यूँ रहेगा


रे कबीरा मान जा 
रे फकीरा मान जा 

आजा तुझको पुकारें

तेरी परच्छाइयाँ


रे कबीरा मान जा 
रे फकीरा मान जा

कैसा तू है निर्मोही कैसा हरजैइ 

फ्लिम -ये जावानी है दीवानी 
लिरिक्स -अमिताभ भटाचार्य 
सिंगर्स -रेखा भरद्वाज & तोची रैना


Monday, September 9, 2013

' गणेश चतुर्थी की कथा '

 
 

गणेशजी का यह पूजन करने से विद्या, बुद्धि की तथा ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति तो होती ही है, साथ ही विघ्न-   बाधाओं का भी समूल नाश हो जाता है।

ॐ गजाननं भूंतागणाधि सेवितम्, कपित्थजम्बू फलचारु भक्षणम् |
उमासुतम् शोक विनाश कारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम् ||

गाइये गणपति जगवंदन |
शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥

सिद्धी सदन गजवदन विनायक |
कृपा सिंधु सुंदर सब लायक़ ॥

मोदक प्रिय मृद मंगल दाता |
विद्या बारिधि बुद्धि विधाता ॥

मांगत तुलसीदास कर ज़ोरे |
बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥ 


एक बार भगवान शंकर स्नान करने के लिए कैलाश पर्वत से भोगावती नामक स्थान पर गए।
उनके जाने के बाद पार्वती ने स्नान करते समय अपने तन के मैल से एक पुतला बनाया और उसे सतीव कर दिया।
उसका नाम उन्होंने गणेश रखा। पार्वती जी ने गणेश जी से कहा- 'हे पुत्र! तुम एक मुद्गर लेकर द्वार पर जाकर पहरा दो।
मैं भीतर स्नान कर रही हूं। इसलिए यह ध्यान रखना कि जब तक मैं स्नान न कर लूं,तब तक तुम किसी को भीतर मत आने देना।
उधर थोड़ी देर बाद भोगावती में स्नान करने के बाद जब भगवान शिव जी वापस आए और घर के अंदर प्रवेश करना चाहा तो
गणेशजी ने उन्हें द्वार पर ही रोक दिया। इसे शिवजी ने अपना अपमान समझा और क्रोधित होकर उसका सिर,
धड़ से अलग करके अंदर चले गए। टेढ़ी भृकुटि वाले शिवजी जब अंदर पहुंचे तो पार्वती जी ने उन्हें नाराज़ देखकर समझा
कि भोजन में विलम्ब के कारण महादेव नाराज़ हैं। इसलिए उन्होंने तत्काल दो थालियों में भोजन परोसकर शिवजी को बुलाया और
भोजन करने का निवेदन किया। तब दूसरी थाली देखकर शिवजी ने पार्वती से पूछा-'यह दूसरी थाली किस के लिए लगाई है?'
इस पर पार्वती जी बोली-' अपने पुत्र गणेश के लिए, जो बाहर द्वार पर पहरा दे रहा है।' यह सुनकर शिवजी को आश्चर्य हुआ
और बोले- 'तुम्हारा पुत्र पहरा दे रहा है? किंतु मैंने तो अपने को रोके जाने पर उसका सिर धड़ से अलग कर उसकी जीवन
लीला समाप्त कर दी।' यह सुनकर पार्वतीजी बहुत दुखी हुईं और विलाप करने लगीं। उन्होंने शिवजी से पुत्र को पुनर्जीवन देने को कहा।
तब पार्वती जी को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर काटकर उस बालक के धड़ से जोड़ दिया।
पुत्र गणेश को पुन: जीवित पाकर पार्वती जी बहुत प्रसन्न हुईं। उन्होंने पति और पुत्र को भोजन कराकर फिर स्वयं भोजन किया।
यह घटना भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को घटित हुई थी। इसलिए यह तिथि पुण्य पर्व के रूप में मनाई जाती है।

कैसे मनाएँ :------------

इस दिन प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त होकर सोने, तांबे, मिट्टी अथवा गोबर की गणेशजी की प्रतिमा बनाई जाती है। गणेशजी की इस प्रतिमा को कोरे कलश में जल भरकर, मुंह पर कोरा कपड़ा बांधकर उस पर स्थापित किया जाता है। फिर मूर्ति पर (गणेशजी की) सिन्दूर चढ़ाकर षोडशोपचार से पूजन करना चाहिए।
गणेशजी को दक्षिणा अर्पित करके 21 लड्डूओं का भोग लगाने का विधान है। इनमें से 5 लड्डू गणेशजी की प्रतिमा के पास रखकर शेष ब्राह्मणों में बांट देने चाहिए। गणेश जी की आरती और पूजा किसी कार्य को प्रारम्भ करने से पहले की जाती है और प्रार्थना करते हैं कि कार्य निर्विघ्न पूरा हो।
गणेशजी का पूजन सायंकाल के समय करना चाहिए। पूजनोपरांत दृष्टि नीची रखते हुए चंद्रमा को अर्घ्य देकर, ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा भी देनी चाहिए।

Sunday, September 8, 2013

जीवन और बसंत ... (My Collection of Peoms)






उल्लास है उमंग है, मन में तरंग है,
जीवन है पुलकित, ये ऋतुराज बसंत है...
मंद है पवन, न ही शीत-न ही गर्म है,
अंबर है स्वच्छ और चहचहाते विहंग हैं
खिल उठा किसान, देख जौ-फसल की बालियां,
सरसों-फूल-पत्तों से, सजे धरती और डालियां,
पुष्पित कुसुम, नव पल्लव, नई सुंगध है,
जीवन है पुलकित, ये ऋतुराज बसंत है...
चारों ओर पीत रंग, आम-वृक्ष बौर खिले,
तीर्थ में मेला भरे, वृन्दावन में बिहारी सजें,
सरस्वती-पूजन लाए, जीवन में सुमति-गति,
ये रिवाज हैं जीवंत, क्योंकि आस्था अनंत है,
सूर्य जाए कुंभ में, मौसम सुखमय अत्यंत है,
जीवन है पुलकित, ये ऋतुराज बसंत है...



पराग से मधु रसपान करें, मधुमक्खी, भवरें, तितलियां,
मौसम-सौंदर्य से गिरें, दिल पर सबके बिजलियां,
सृष्टि के कण-कण में, बजे प्यार का मृदंग है,
सजनी से मिले मीत, रति-काम उत्सव आरंभ है,
कोयल की तान भी, छेड़े राग बसंत है
जीवन है पुलकित, ये ऋतुराज बसंत है...
मन में उमड़े प्यार, मधुमास तले बेल बढ़े,
इस मौसम-सुगंध में, ऊर्जा बढ़े प्रेम बढ़े,
नई आस नया गीत, प्राण-वायु का संचार करे,
ये है श्रृंगार ऋतु, जीवन  और बहार लिए,
दुल्हन-सा रुप धरे, जिसमें साजन-सी उमंग है,
ह्रदय में उड़ान, जैसे गगन में पतंग है,
उल्लास है उमंग है, मन में तरंग है,
जीवन है पुलकित, ये ऋतुराज बसंत है...