Wednesday, March 6, 2013

Kasturba Gandhi Balika Vidyalay Sports & Cultural Prog.

 नमस्कार ६ मार्च २०१३ को माउंट अबू पोलो ग्राउंड में विशेष पहला राज्य स्तरिया खेल और सांस्कृतिक प्रतियोगता का समापन समारोह था जो की अपने आप में एक अलग पहचान कस्तुबा गाँधी गल्स विद्यालय की देती है इस विद्यालय की विशेषता ये है की यहाँ जो भी बालिका पढ़ने आती है वो स्कूल ड्राप आउट होती है या फिर उसे पढ़ने का मोखा  नहीं मिला हो किसी कारण वश माता पिता गरीब हो या घर की कोई बात हो जीने पढ़ने का मोख नहीं मिला हो ऐसी बालिका वो को यहाँ एडमिशन  दिया जाता है
 और उन्हें पढाया जाता है .
अब पहली बार  राज्य स्तरिया खेल और सांस्कृतिक प्रतियोगता का आयोजन माउंट अबू पोलो ग्राउंड में इन बालिका वो के लिए आयोजीत किया गया था जो अपने आप में एक सराहनीय कदम है इस का आयोजन अतिरिक जिल्ला समन्वय कांतिलाल कतरी और उन के साथियों ने बहुत ही बढ़िया करियक्रम बनाया और उस को साकार रूप दिया .
 इस में दो बाते थी एक तो खेल और दूसरा सांस्कृतिक कार्यक्रम दोनों ही प्रतियोगिता चली और तीन दिन का ये विशाल आयोजन बालिका वो में
एक नया जोश और उमंग और समझ भर दिया है उनके चेहरे और बोल से लगता था की बालिका वो को ऐसी विशाल आयोजन की जरुरत थी जो बहुत समय के बाद सुरु हुवा और उसका पूरा पूरा लाभ बालिका वो ने उठाया है और इस आयोजन का एक और बहुत ही सफल कार्यक्रम ये भी 
 था की बालिका वो को जेंडर की शिक्षा और आत्मा विश्वास जागने के लिए विशेष सेल्फ सिक्यूरिटी का ट्रेनिंग दिया गया जो बलिकवो को कभी कभी आधारित न होना पड़े .....
कांतिलाल कतरी और बहार से आये हुवे सभी टीचर्स और आयोजक बहुत ही लगन के साथ इस कार्यक्रम को सफल बनाया और बालिका वो की उमंग देख उन्हें भी बहुत ख़ुशी और आगे भी इस तरह के  प्रयोग करने का
 संकल्प लिया है
बालिका वो में  दम कम देख टीचर्स का उमंग भी आस्मां को छु रहा था क्यू की बालिका वो के साथ वो भी बच्चे बन गए थे और बालिका वो की प्रस्तुति देख वो आश्चर्य चकित हो गए थे .बालिका वो की प्रातिबा का वो बहुत गुण गन भी कर रहे थे अलग अलग  विभाग में प्रतियोगता का आयोजन भी अलग पहचान बना रहा था
 बालिकाए भी अपनी अलग पहचान बना रही थी खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रम में कोई एकल गायन तो समुह गायन में कोई नाटक में कोई डांस में और कुछ खेल में भागदौड़ , कबड्डी , क्रिकेट , अदि अदि  ....में अपनी पहचान बनायीं है ...
आयोजक और टीचर्स का प्रयोग है की ये बालिका वो को नेशनल और स्टेट लेवल का खेल में भाग लेने का मोख मिले और साथ ही भारत और विदेश में भी खेल या संस्कृतक कार्यक्रम के जरिये ये बालिकाए आगे बड़े
और अपना नाम करे ये कोशिश है .. सभी टीचर्स बालिका वो की परतिभा के बारे में बता रही थी की ये कही भी दुसरे बालिका वो से अलग नहीं है
इन में भी वाही जोश और उमंग और कुछ करने की जज्बात है इन्हें सही तरह से ट्रेन किया जय और मोख मिले तो ये भी सानिया और पी टी उषा जैसी बन सकती है ........तो ये थी कुछ काश बाते कस्तूरबा गाँधी बालिका  विद्यालय की . पहला राज्य स्तरिया खेल और सांस्कृतिक प्रतियोगता का समापन समारोह की ........                            .रेडियो मधुबन 90.4fm सुनते रहो मुस्कुराते 

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