ओम शांति
नवरात्रि के इस अष्टमी पर आप सबका स्वगत है आज हम शक्ती स्वरूपा माँ गायत्री
देवी के शक्ती स्वरुप का अनुभव करेंगे गायत्री देवी को वैसे विशाद में डूबे हुए
मनुष्य आत्मायों के दुःख दूर करने वाली कहते है सबके मन को हर्षाने वाली ख़ुशी का
वरदान देने वाली और आनंद मगन करने वाली भी कहते है
हम सब आज आनंद मगन होकर ख़ुशी से इस रूहानी यात्रा पर चलेंगे ......
हम अपनी आत्मा के अदभुत रह्श्य को जानते हुवे आत्मा अनुभूति का आनंद उठाएंगे
.... आत्मा एक तिकी रोकेट है आत्मा एक यात्री है तो चलिए मन बुद्धि के द्वरा अपनी
यात्रा शुरू करे .....संसार से वियोग होकर परमधाम से अपना योग जोड़े ....
अपने आपको साक्षी होकर देखे और इस शरीर को
मन्दिर समझ आत्मा को एक दैवी शक्ति के रूप में देखे शरीर जड है और आत्मा चेतन है
इसलिये चेतना को शक्ती कहा गया है शक्ती का ही पूजन गायन होता है इस आवाज़ की
दुनिया से दूर सूर्य चाँद सितारों से पार ..... पांच तत्वो से पार
शुक्ष्म लोक में मै आत्मा आ गयी हूँ जहा चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश है जहा
सिर्फ भावनाए कार्य करती है .....वो भी इस संगम समय पर यहाँ मै आत्मा अपने बापदादा
से रूह रिहन करते हुवे अतीन्द्रिय सुख का अनुभव कर रही हूँ बाबा की प्यार भरी
दृष्टी मुझ आत्मा पर पड़ रही है .....
में आत्मा परमधाम निवासी हूँ पर वाया
शुक्ष्म लोक से होकर शक्ती भर कर अपने परमधाम की ओर उड़ान भर रही हूँ
.......
अब मै आत्मा अपने मुलवतन शांतिधाम परमधाम
मै पहुंच गई हु मै अपने पिता परमात्मा से मिलन मना रही हूँ यह मिलन मुझ आत्मा को
पावन और सर्व शक्तियों से भरपूर कर रही
है ......( कुछ पल इस अवस्था में खो जाईये .)
धीरे धीरे मै आत्मा शांति की शक्ती से भरपूर होकर शुक्ष्म लोक में आ गयी
हूँ और बापदादा से मीठी मीठी बाते हो रही
है और बाबा आज फिर मुझे एक नया दृश्य दिखा रहे है और मै उस दृश्य को देखने लगी जहा
मनुष्य आत्माए विशाद में डुबी है बहुत गम में है उनकी ख़ुशी गायब है ......
ऐसा दृश्य देखकर मुझ आत्मा को कल्प
पहले वाली श्रेठ शक्ति रूप माँ गयात्री की याद आ गई और भक्तो की पुकार सुनाई देने
लगी .......
अब मै आत्मा बाबा से मिलकर उनसे शक्ति लेकर माँ गायत्री के शक्ति रूप को धारण
कर विश्व सेवा करने लगी .....
परम धाम से गुलाबी रंग की किरने आ रही है और मुझ आत्मा से होते हुए संसार की
अनेक आत्माओं को स्पर्श कर रही है (इस दृश्य में खो जाइये ) परम धाम से गुलाबी रंग
की किरने आ रही है और मुझ आत्मा से होते हुए संसार की अनेक आत्माओं को स्पर्श कर
रही है
धीरे धीरे .... विशाद में डुबी आत्माये दुःख से दूर हो रहे है गम में डुबी
आत्माए ख़ुशी का अनुभव करने लगी है ......
और मै आत्मा शक्ती स्वरुप का अनुभव करते हुवे बाबा से विदाई लेते हुवे नीचे की
ओर आने लगी ....
मुझ आत्मा को अपनी शक्तियों का एहसास हुवा में आत्मा अपने शक्ती से खुद को और
संसार को बदल सकती हूँ .... आज में संकल्प करती हूँ आत्मा स्मृति से हर कार्य
करुँगी अपने लोकिक और अलोकिक परिवार का बैलेंस करते हुवे जीवन व्यतीत करुँगी....
अपना तन मन धन सफल कर भविष २१ जन्म की कमाई जमा करुँगी ...
ओम शांति शांति शांति .....