1– किसी भी समस्या का रोना हल नहीं है।
शारीरिक सुंदरता का सोना हल नहीं है।
वाणी में हो मधुरता नैनों में नम्रता हो।
जो करना हो कर लो आज जीवन में कल नहीं है।
किसी भी समस्या का रोना हल नहीं है।
2 – दुनिया बहुत बड़ी है।
लाखों यहां धनी है।
चढ़ जाओ चाहे जितना ऊंचा
आना तो फिर जमी है।
अब लोग चंद्रमा पर जमीं तलाशते हैं।
बुद्धि विवेक खोना इसमें कोई हल नहीं है।
किसी भी समस्या का रोना हल नहीं है।
शारीरिक सुंदरता का सोना हल नहीं।
3– प्यार–प्यार तो हम इंसान हैं इंसान से किया करते हैं।
प्यार तो हम पत्थरों के भगवान से किया करते हैं।
मगर कुछ इंसान यहां इस प्यार को बदनाम किया करते हैं।
जिस इंसान में पवित्रता का नाम तक नहीं है।
उस इंसान का गंगा में हांथ धोना हल नहीं है।
किसी भी समस्या रोना हल नहीं है।
शारीरिक सुंदरता का सोना हल नहीं है।
वाणी में हो मधुरता नैनों में नम्रता हो।
जो करना कर लो आज जीवन में कल नहीं है।
4– दशानन थे तीन भाई तीनों विवेक पाई।
रावण ने अपनी लंका को सोने से जड़ाई।
विभीषण ने राम को ही अपना सोना चुन लिया है।
कुंभकरण जैसा सोना भी जीवन का हल नहीं है।
किसी भी समस्या रोना हल नहीं है।
शारीरिक सुंदरता का सोना हल नहीं है।
वाणी में हो मधुरता नैनों में नम्रता हो।
जो करना हो कर लो आज जीवन में कल नहीं है।
*ओम शांति*
कवि– *सुरेश चंद्र केसरवानी* (प्रयागराज शंकरगढ़)
मोबाइल नंबर –9919245170
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