Sunday, November 16, 2025

**शीर्षक – नैय्या भव से पार*


1–शांत चित सद्भावना का भाव हो।

नम्र चित और नम्रता का स्वभाव हो।

हो सुसज्जित शब्द में शुभभवना। 

तब ये नैय्या भव से बेड़ा पार हो।


2–भावना में भाव हो प्रतिराष्ट्र कि। 

धर्म हो और धारणा हो शास्त्र की।

कर्म के प्रति प्यार हो परमार्थ की।

लोभ मन में ना भारी हो स्वार्थ की।

जगृति हो जागरण का सार हो।

तब यह नैय्या भव से बेड़ा पार हो। 

शांत चित सद्भावना का भाव हो।

तब ये नैय्या भव से बेड़ा पार हो।

 

3–हो भरी करुणा यह मानव जन्म है।

पूर्व जन्मों का पुण्य का कर्म है।

सत्य पथ पर हम चले यह धर्म है।

धर्म की ही धारणा शुभ कर्म है।

सत्य पथ पर हम चले सद्भाव हो।

तब ये नैय्या भव से बेड़ा पार हो।

शांत चित्र सद्भावना का भाव हो।

तब ये नैय्या भव से बेड़ा पार हो।



      *ओम शांति* 

 रचनाकार– *सुरेश चंद्र केसरवानी*

 (प्रयागराज शंकरगढ़)

मोबाइल नंबर –9919245170

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