चीखना और चिल्लाना नहीं चाहिए ।
किसी का दिल दुखाना नहीं चाहिए।
अपनी भी एनर्जी व्यर्थ में गवाना नहीं चाहिए।
बे मौसम की बरसात में नहाना नहीं चाहिए।।
आपसी टकरार को बढ़ाना नहीं चाहिए।
किसी की हालत पर मुस्कुराना नहीं चाहिए।
दुख:हर्ता सुख कर्ता एक परमात्मा है।
उनसे कोई राज छिपाना नहीं चाहिए।
चीखना और चिल्लाना नहीं चाहिए।
किसी का दिल दुखाना नहीं चाहिए।
अपनी भी एनर्जी व्यर्थ में गवना नहीं चाहिए।
और बेवजह मुस्कुराना नहीं चाहिए।
हम जहाँ पर है , जिस स्थिति में है यही सत्य है।
यही मेरा परिवार है ,यही खेल है।
क्योंकि कल्प कल्पान्तर का यह मेल है ।
अपने कर्मों का दोषार्पण किसी पे लगाना नही चाहिए।
चीखना और चिल्लाना नहीं चाहिए।
किसी का दिल दुखाना नहीं चाहिए ।
अपनी भी एनर्जी व्यर्थ में गवना नहीं चाहिए।
बे मौसम की बरसात में नहाना नहीं चाहिए।।
कुछ लोग कह रहे हैं, जिंदगी बहुत बड़ी है।
भगवान का रहा है, जिंदगी एक सांस की लड़ी है।
कुछ लोग कह रहे हैं, जिंदगी तो एक घड़ी है ।
भगवान कह रहा है, उस घड़ी की सेकंड वाली सुई की छड़ी है ।
कितना व्यर्थ में सोचेगा, कितना तू कमाएगा ।
स्थूल धन कमाएगा , मिट्टी में मिल जाएगा ।
शरीर को सजाएगा, व्यर्थ में चला जाएगा ।
जो भी तुम्हारे पास है, सब भगवान की अमानत है ।
किसी की अमानत को अपना बताना नहीं चाहिए ।
चीखना और चिल्लाना नहीं चाहिए ।
किसी का दिल दुखाना नहीं चाहिए ।
अपनी भी एनर्जी व्यर्थ में गवना नहीं चाहिए ।
बे मौसम की बरसात में नहाना नहीं चाहिए ।।
लेखक : कवी सुरेश चंद केसरवानी ,
प्रयागराज, शंकरगढ़

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