Sunday, June 2, 2013

some time a small quote leads you up

                                                                                                          

Some time a small quote leads you up

Luck, Fortune,Blessing and etc words make sometime fair to hard work
and only when we start doing hard work with whole heart then we make our Fortune

लक भाग्य  नसीब ये शब्द कभी कभी हमको मेहनत से दूर करते है लेकिन 
जब हम और आप दिल से मेहनत करते है तो हमारा भाग्य का द्वार हम खोल देते है 

इस लिए भाग्य के भरोसे नहीं रहना है मेहनत कर के अपने भाग्य में चार चाँद लगाना है 

Wednesday, May 29, 2013

देश की हालत


देश की हालत का अनुमान

 इस बात से लगा सकते है 

कि यहाँ दूधवाला घर-घर जाता है 

और शराब लोग पंक्ति लगा कर 

शराब की दुकान पर जा कर लाते है

 


Tuesday, May 28, 2013

राजयोग करने के लिये.........



राजयोग  करने के लिये ,
हमे अपने शरीर की सारी हरकतों को बन्द करना पडता है ,
जैसे शरीर का हिलना , देखना , बोलना  और सोचना . . .
राजयोग कैसे करते है आइये देखते है . . .
राजयोग
राजयोग के लिये
पहला काम है . . . स्थिति |
आप किसी भी तरह बैट सकते है |
बैठना आरामदेह और निश्चल होना चाहिए |
हम ज़मीन और कुर्सि पर बैटकर ध्यान कर सकते हैं |
  राजयोग हम किसी भी जगह कर सकते जहा हम सुखदायी हों |
आराम से बैठिए |
पैरों को मोड़कर उंगमियों को मिलकर |
आंखे बन्द कीजिए |
अन्दर और बाहर की आवाजों पर रोक लगाइये |
  तो शक्ति का दायार बढ़ जाता है 
 स्थिरता बढ़ जाती है | आंखें दिमाग के द्वार हैं . . .
इसीलियें आंखें खुली हो पर दिमाग याने बुद्धि योग
 अलोक की तरफ हो 
परमात्मा की तरफ हो तो योग लगेगा  और
 आंखे खुली होकर भी 
मन प्रभु प्रेम में खोया रहेगा।
कुछ अच्छे विचार लेकर चिंतन करे 
और एक मै आत्मा और मेरा परमात्मा 
कभी कभी सुरवात में ऐसा हो सकता है
कुछ अलग विचार भी आ सकते है  पर
विचारों का पीछा मत कीजिए . . .
विचारों , सवालों से चिपक मत जाइये . . .
विचारो को हटा दीजिये . . . और अपने शारीर में आत्मा की और ध्यान दे
और  सांस पर ध्यान दीजिए . . .
सांस में खो जाइये |
इसके बाद . . .
सांसों की गहराई  कम होती जाएगी . . .
धीरे धीरे सांस हल्कि और छोटी होती जाएगी . . .
आखिर में . . .
सांस बहुत छोटी हो जाएगी . . .
और दोनो भावों के बीच में चमक का रूप ले लेगी |
आत्मा अनुभूति  की इस दशा में . . .
हर किसी में . . .
न सांस .. रहेगी न विचार . . .
  आप विचारों से परे हो जाएगा . . .
ये दशा कहलाती है . . .
निर्मल स्थिती या बिना विचारो  की दशा . . .
ये बिंदु रूप की दशा है . . .
ये वो अवस्था है . . . जब हमपर परमात्मा (विश्व ) शक्ति की बोछार होने लगती है |
हम जितना ज़्यादा राजयोग करेंगे उतना ही ज़्यादा परमात्मा (विश् ) शक्ति हमे प्राप्त होगी |

Monday, May 27, 2013

”इक्कीसवी सदी का इंसान ”

”इक्कीसवी सदी का इंसान ”
इक्कीसवी सदी का इंसान,
समझ बैठा अपने को भगवान,
कर रहा अपने हाथों के उध्वंस से ,
इस देश का नव निर्माण |
गाँधीजी के युग में,  जहाँ उठाया था हमने बीड़ा,
न किसी के चेहरे पर हो शिकन,  न किसी तरह की पीड़ा,
बलिदान दिया उन्होंने,  अपने इसी देश के लिए,
क्या याद रख पाए हम,  उनकी किसी तरह की क्रीडा |
मुंबई का आतंकवादी हल्ला,  जिसने हिला दिया एक आम इंसान को,
खून, खराबा, विक्षिप्त लाशें गिराकर,  क्या मिला किसी को,
क्या होगा उन नन्हें बच्चों का,  जिनके माँ बाप ही न रहे ,
जिनकी नन्हीं आँखें निहार रही हैं , अभी भी किसी पथ को |
भाई भाई के खून का प्यासा हो, क्या यही था उनका सपना,
सूरज अभी ढला नहीं, कर सकते हैं हम, सभी को अपना,
आज कोई रो रहा है, कल हम भी रो सकते हैं,
यह सोच कर तो बंद करो , जाति के नाम को कुरेदना |
आओ, आज हम सब मिलकर, कहें यह कसम खाकर,
गाँधीजी के सपने को,  एक नए रूप में सँजोकर,
इक्कीसवी सदी के इस युग में,
हम लाएँगे, रामराज्य का इंसान |

Wednesday, May 22, 2013

"Gratitude" = " कृतग्यता "



कृतग्यता 


मैं कृतग्य हूँ
उस जीवन के प्रति
जो मुझमें
और तमाम अन्य जीवों में
लगातार साँसें ले रहा है

मैं कृतग्य हूँ
उस सूरज के प्रति
जिसने ऊर्जा भेजने में
कभी कोई चूक नही की
और जिसके बिना अकल्पनीय थी हमारी सृजना

मैं कृतग्य हूँ
उस प्रकृति के प्रति
जिसने हवा, पानी, पेड़, बादल, बिजली, बारिश, फूल और खूशबू जैसी चीजें बनाई
और उन पे किसी का जोर नही रखा.

मैं कृतग्य हूँ
प्रत्येक सृजन और उसके लिए मौजूद मिट्टी के प्रति

मैं आँसू, हंसी, शब्द, शोर और मौन जैसी
चीज़ो के प्रति भी कृतग्य हूँ
जो मेरी कविता का हिस्सा बनते हैं

और अन्त में
उन सब चीज़ो के प्रति
जो अस्तित्व में हैं और जिनकी वजह से दुनिया सुंदर बनी हुई है
मैं कृतग्य हूँ
अपने  शिव बाबा के प्रति
जिनके आर्शीवाद के बिना
यह कृतग्यता का भाव न होता... 

कृतग्यता  एक  विधि  है  जिस के द्वारा  आप  अपने जीवन  को सुखदायी  बना सकते हो  उठते  बैटते  चलते फिरते  बस  धन्यवाद  दे  सब को  जो आपके पास है और जो आप  से दूर है  ये समझे  पूरा संसार  ईश्वर  ने आपके लिए रचा  है . अपने ये  लिकत  इतने प्यार से पढ़ा  इस के लिए  आपको  भी  बहुत धन्यवाद ....
 धन्यवाद।।।।।धन्यवाद।।।।।
 


Sunday, May 19, 2013

मेरे प्रश्नों पे भी हल गए

मेरे प्रश्नों पे भी हल गए 

छलने वालों को जो छल गए 
सिक्के वो ही यहाँ चल गए 

हम कहानी ही लिखते रहे 
वह उपन्यास में ढल गए 

हल चले तो ये धरती कहे 
मेरे प्रश्नों पे भी हल गए 
वह उमर में पचहतर हुए 
रस्सी जल के नहीं बल गए 

शक में सन्देह में जो रहे 
उनके विश्वास भी गल गए 

कह गए अब नहीं आएंगे 
आज आए है जो कल गए 

जिनको शोले जला ना सके 
प्यार की आग में जल गए 

                  राव अजातशत्रु