Saturday, April 20, 2013

इच्छा मात्रम अविध्य की सीट से जब हम बढाने लगते है.

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when the things come in practice then we can do a lot from that  even some time a magic also and you all also know that a Magician does Magic in front of people and people feel very happy by seeing the magic and a Magician know that my practice is perfect ...in Meditation also the same thing Happens when we start we feel some difficulties but when the Meditation comes in practical life then it becomes Naturally and slow and studly it starts working and one day it makes the magic which is makes self and others Happy....frist we start from self and then it starts transforming others .......

 इच्छा मात्रम अविध्य की सीट से जब हम बढाने लगते है तो यहाँ पर एक जादू की तरह इसका प्रभाव दूसरो पर होने लगता है जैसे जैसे हम राजयोग की सुरवात करते है तो धीरे धीरे इस का अनुभव हम करने लगते है पहले इस में मुस्किले आती है जब हम अनुभवी हो जाते है तो मुस्किल फिर मुस्किल नहीं लगता और वो भी हमें आगे बढाता है और हम खुद को खुशनसीब बनाते है। और इस का असर धीरे धीरे दूसरो पर होने लगता है।
 फिर जो भी इस बात को जल्दी समझ ने की कोशिश करेगा उससे तो जादू ही लगने लगेगा ...इच्छा की अविध्य ही ख़ुशी को बढाती है और जो खुद ख़ुशी का अनुभव करता है वह दूसरो को ख़ुशी  दे सकता है।
जैसे एक जादूगर अपने अनुभव से आगे बढता है और लोग जब देखते है तो खुश हो जाते है और हम भी जब खुद को इच्छावो से दूर रखते है तो हम दूसरो के लिए कामधेनु बन जाते है हम दूसरो के इच्छा पूरा करने वाले बन जाते है।



Friday, April 19, 2013

तेरी मेरी तेरी मेरी प्रेम कहानी

  तेरी मेरी तेरी मेरी प्रेम कहानी


    तेरी मेरी तेरी मेरी प्रेम कहानी
    किताबो मे, किताबो मे
    किताबो मे भी ना मिलेगी
    किताबो मे भी ना मिलेगी
    तेरे मेरे, तेरे मेरे प्यार की कूशबू
    गुलबो मे, गुलबो मे,
    गुलबो मे भी ना मिलेगी
    गुलबो मे भी ना मिलेगी
    तेरी मेरी प्रेम कहानी प्रेम कहानी

    हो सुने सुने सुने सुने जीवन मे
    तूने प्यार की ज्योत जलाई
    तूने प्यार की ज्योत जलाई
    हो ये जीवन मे अब जीवन है, अब
    ये बात समझ मे आई
    हा बात ये समझ मे आई
    मिल जाए जब ऐसी हस्ती,
    मिल जाए जब ऐसी हस्ती
    बस्ती है तब दिल की बस्ती
    ऐसी हस्ती जिंदा परसती
    नवबो मे, नवबो मे
    नवबो मे भी ना मिलेगी
    नवबो मे भी ना मिलेगी
    तेरी मेरी तेरी मेरी प्रेम कहानी
    किताबो मे, किताबो मे,
    किताबो मे भी ना मिलेगी

    हो ओ आएँगे आएँगे कल रहो मे
    हा मोड़ हज़ारो अंजाने,
    मोड़ हज़ारो अंजाने
    हो साथ तेरा मई छोड़ुगा ना
    बाकी और खुदा जाने
    बाकी और खुदा जाने
    ऐसी निराली प्रीत हुमारी
    ऐसी निराली प्रीत हुमारी
    देखेगी ये दुनिया सारी
    प्रीत हुमारी,
    प्रीत हुमारी ऐसी नासीली
    सराबो मे सराबो
    सराबो मे भी ना मिलेगी
    सराबो मे भी ना मिलेगी

    तेरी मेरी तेरी मेरी प्रेम कहानी
    किताबो मे, किताबो मे,
    किताबो मे भी ना मिलेगी
    किताबो मे भी ना मिलेगी
    तेरे मेरे प्यार की खुश्बू
    गुलबो मे, गुलबो मे,
    गुलबो मे भी ना मिलेगी
    गुलबो मे भी ना मिलेगी.

तेरी -(बाबा ) मेरी -(अत्मा ) ये एक वंडर है गीत लिकने वाले को बाबा ने ही प्रेरणा दिया होगा 
तब तो ये गीत सुन कर पढ़कर मन  मेरा ख़ुशी से भर गया शयद अपने ध्यान से पढ़ा होगा तो 
आपको भी ख़ुशी का अनुभव हुआ होगा .. अच्छे  दिल को सुकून देने वाले गीत सुनकर उसके अध्यात्मिक अर्थ में खो जाना भी योग है ..........ध्यन्यवाद 



Thursday, April 18, 2013

Meditation

" परछाई आपकी हमारे दिल मे है,
यादे आपकी हुमारी आँखों मे है.
कैसे भुलाए हम आपको, प्यारे बाबा
प्यार आपका हमारे साँसों मे है… " 

 जब हम ध्यान या राजयोग करते है तो कुछ इसी तरह का अनुभव हम सब करते है पर बात ये है की इसको सदा अनुभव करने के लिए हम सब को थोडा मेहनत करना होगा एक हाई जम्प लगाना होगा राजयोग को बढ़ाते हुवे नियमीत करना होगा , वैसे हम अनुभव तो एक दो दिन में भी कर सकते है पर लक्ष्य तक नहीं जा सकते ..इस लिए अब वक्त का कहना है हाई जम्प करो. 

when we start doing meditation we feel the above thoughts which are our heart touching but the thing is that we should make it regular, Meditation is one that need regularity for great achievements, we feel the same if we do it for one week also but it is timely, So do good job and achieve lot .


 
 

Wednesday, April 17, 2013

फ़रिश्ता बनना है

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फ़रिश्ता बनना है  

ये लाइन सुनते ही ख़ुशी होता है दिल भी कहता है हां बनाना है पर फिर वाही बात होती है कैसे ?
कभी कभी हम अनुभव करते है ख़ुशी का हल्कापन का या संतोष का भी पर रेगुलर में गड़बड़ होती है 
 फिर से वाही  कभी कभी वाली बात होती है क्यू की हर दिन एक जैसा नहीं होता और फिर हम जिस माहोल में रहते है उसका प्रभाव और जो कर्म हम करना चाहते है उसके प्रति सब का विचार कैसा है इस का भी प्रभाव होता है…. शयद ..बहुत समय से कभी ख़ुशी कभी गम वाली बात चल रही है क्या जीवन का नियम यही है अगर नहीं है तो फिर क्या है अगर येही है तो टिक है पर फ़रिश्ता बनना है तो कुछ बात होनी है,  चाहे कुछ भी हो जीवन का नियम,  कुछ अलग करना होगा जी हां .... और संसार चक्र या सृष्टि चक्र हमको इशारा दे रहा है की अब इस धरती को फरिश्तो की जरुरत है ..जिस से ये धरती माँ अपने आप में समतोल कर सखे, धरती माँ पर बहुत बोझ हो गया है उसे उतार कर सब के लिये नया जमी नया असमा धरती माँ बनानी चाहती है .......
.तो चले  सब नहीं तो कुछ लोग ही सही एक सुरवात करे .. हम को फ़रिश्ता बनाना है। पर इस के लिए हमको  सबको भूलना होगा ना मै ना तुम बस असमा हो याने देह सहित देह के सब धर्म भूल आत्मा स्वरुप में रहकर परमधाम और परमात्मा को याद करते उनमे ही खो जाय ...आप  सोच रहे होंगे भोजन आदि करे न करे इस के लिये मिले तो टिक न मिले तो टिक होना चाहिए वरण फ़रिश्ता नहीं बन सकते क्यू की फ़रिश्ता माना साक्षी हर इंसान हर वस्तु यहाँ तक की संसार की हर बातों से आपको साक्षी होना पड़ेगा ..और रोज मरना होगा .
ऐसा करने से संभव होगा फ़रिश्ता बनाना ... 








Tuesday, April 16, 2013

"पानी पर खीची गई लकीर "

पानी पर खीची गई लकीर 

पानी पर खीची गई लकीर की कोई उम्र नहीं होती 
जीवन भी लगभग ऐसा ही है 
पता नहीं कब कूच करने का नगाड़ा बज जय 
जीवन में ख़ुशी और गम के साथ एक अस्मंजसता  बनी है 
कल किसने देखा है कौन कब कैसे उठेगा कुछ पता नहीं है 
अगर ये सत्य है तो हम सब को अभी सोचना होगा  और करना होगा 
अत : सौ काम छोड़कर सत्संग में जाना चाहिए और 
हज़ार काम छोड़कर धर्म -ध्यान करना चाहिए 
अगर आज ऐसा नहीं किया तो कल बहुत बुरा होगा 
जैसे ...सोमवार को जन्म हुआ , मंगलवार को बड़े हुवे ,
बुधवार को विवाह हुआ , गुरुवार को बच्चे हुवे ,
शुक्रवार को बीमार पड़ गए , शनिवार को अस्पिताल गए 
और रविवार को चल बसे ........
अपने दिल से पूछिए ...क्या येही ज़िन्दगी है 

अमानत है ज़िन्दगी

" अमानत है ज़िन्दगी  "
एक गहरी बात ये है जो सत्य है और 
हम सब जानते हुवे भी अन्जान रहते है 
दुनिया में तुम्हारा अपना कोई नहीं है 
जो कुछ तुम्हारे पास है वह एक अमानत है 
बेटी है तो वह दामाद की अमानत है 
बेटा  है तो वह बहू की अमानत है 
शारीर श्मशान की और ज़िन्दगी मौत की अमानत है 
तुम देखना ....एक दिन बेटा  बहू का हो जायेगा ,
बेटी को दामाद ले जायेगा ,
शारीर श्मशान की राख में मिल जायेगा 
और ज़िन्दगी मौत से हार  जायेगी .
कहना ये है की अगर ये सत्य है तो 
अमानत को अमानत समझ कर ही उसकी 
संभाल करना है और अगर उस पर 
माल्कियत को जताया तो रोना पड़ेगा 
क्यू की ये फिर अमानत में कायनात हो जायेगा 
रिलैक्स या ख़ुशी का अनुभव करना है 
तो अमानत को अमानत ही समझना है 

Sunday, April 14, 2013

नेचुरल अटेन्सन


नेचुरल अटेन्सन लाने के लिए बहुत काल का (अटेन्सन देने का )अभ्यास चाहिए तब ही हम नेचुरल अटेन्सन
का अनुभव कर सकते है  जिस से हमको टेंशन आ नहीं सकता  
when we keep natural Attention then we will away from Tension but the problem is to keep natural attention one should have  a good practice of Natural Attention first.