Friday, April 12, 2013

दिव्य बुद्धि का सही अर्थ


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  दिव्य बुद्धि का सही अर्थ

दिव्य बुद्धि का सही अर्थ है  बुद्धि माना सिंपल भाषा में बात करे तो विचार सुंदर और सकारात्मक विचार 
अंग्रेजी में किसी ने कहा है (thoughts can move mountains ) याने शुद्ध और पवित्र विचार, मन और बुद्धि को 
दिव्या बनाते है .जिस व्यक्ति को शुद्ध और सकारात्मक विचार करने का तरीका आ गया, तो बस उसकी ही बुद्धि दिव्या बनती  है और वाही सिद्धि स्वरूप बनता है एक और तरीका ये भी है मन के अन्दर शुद्ध भाव निर्माण करे जैसे दया, प्रेम ,करुणा ..जिससे आपकी बुद्धि दिव्यता को प्राप्त करेंगी और आप सिद्धि स्वरूप 
बन जाएंगे ...ॐ शांति  

" हिंदू नव वर्ष " और " चेत्र नवरात्री "

" हिंदू  नव  वर्ष " और " चेत्र नवरात्री "

११ अप्रैल २०१३  ये दिन  वर्ष  का सब से सुभ माना गया है  आज हिंदू धर्म के अनुसार  नया साल है जिसे  सभी राज्य में मनाया गया और ख़ुशी की बात ये है की आज नवरात्री की भी सुरवात है और महारास्ट्र में आज गुड्डी पड़ाव के नाम से और अन्द्र प्रदेश में उगादी के नाम से सिंद प्रांत में हिन्दू नव वर्ष  अन्य दुसरे राज्य में भी इसी तरह का उत्सव मनाया गया आईये अब आबू रोड की बात करते है ...
शक्ति की परम कृपा प्राप्त करने हेतु सम्पूर्ण भारत में नवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तथा आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को बड़ी श्रद्धा, भक्ति व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जिसे चैत्र व शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है

 नवरात्रि के व्रत का पारण (व्रत खोलना) दशमी में करना अच्छा माना गया है, यदि नवमी की वृद्धि हो तो पहली नवमी को उपवास करने के पश्चात्‌ दूसरे 10वें दिन पारण करने का विधान शास्त्रों में मिलता है। नौ कन्याओं का पूजन कर उन्हें श्रद्धा व सामर्थ्य अनुसार भोजन व दक्षिणा देना अत्यंत शुभ व श्रेष्ठ होता है। इस प्रकार भक्त अपनी कर सकते है ऐसा रमेश  अग्रवाल जी ने कहा और जब हम मणीलाल पंडितजी से बात की तो जिस तरह की मेरी सोच थी उस से अलग उनोहों बताया भक्ति आदि जो भी है ये अपने मन को खुश करने की बात है सही बात तो ये है की आप अपने घर में जो माँ या दादी है उनकी अच्छी तरह से सेवा करो और आपकी पत्नी या बेटी है उनका भी दिल से सम्मान करो और उनका धयान रखको येही बड़ी सेवा और भक्ति है और जो बाज़ार या रास्ते में महिला को देखो तो उनको भी उतना ही सम्मान दो जितना आप अपने घर के लोगो को देते हो .......
आबू रोड के बहुत लोगो से मेरी बात हुई सब के दिल में बहुत उमंग और उत्साह था आज एक ख़ुशी उनके चहरे पर थी ऐसा लग  रहा था की उनको आज कुछ अनोखी ख़ुशी मिल रही हो जिसका वो शब्दों में वर्णन नहीं कर पा रहे थे पर भाव उनके चहरे से पता चल रहा था .










Thursday, April 11, 2013

इच्छा मात्रम आविध्य का सही अर्थ है

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इच्छा मात्रम आविध्य का सही अर्थ है की सुभ भावना और सुभ कामना से भरपूर रहो  याने खुदा जिसने इस संसार को बनाया है उसकी मत पर चलते हुवे कुदरत की खूब सुरती को देखो की कुदरत की हर चीज दूसरो के लिए बनी है जिस और भी देखो वह कुछ न कुछ दे ही रहा है ...सागर ना अपना जल पीता है पेड़ ना अपना फल खाते परोउपकार के लिए ही जीवन है ...मुझे लगता है इतना काफी है इच्छा मात्रम आविध्य का स्वरुप बनने के लिए ... ॐ शांति .

Monday, April 8, 2013

सच्चा ज्ञानी

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 ॐ    परामात्मा  कहते है सच्चा ज्ञानी वह है 
" जो सर्व बन्धन और आकर्षण से मुक्त है "
और वाही मुझे दिल से याद कर सकता है 
और जो दिल से याद करता है 
उसकी हर मुराद में पूरी करता हु 





Sunday, April 7, 2013

चांद के पास जो सितारा हैं

चांद के पास जो सितारा हैं, वो सितारा हसीन लगता हैं

चाँद के पास जो सितारा हैं, वो सितारा हसीन लगता हैं
जब से तुम हो मेरी निगाहों में, हर नज़ारा हसीन लगता हैं

जिंदगी दो दिलों की चाहत हैं, हर खुशी प्यार की अमानत हैं
प्यार के पास जो सहारा हैं, वो सहारा हसीन लगता हैं

रात तनहाईयों की दुश्मन हैं, हर सफ़र हमसफ़र से रोशन हैं
मौज के पास जो किनारा हैं, वो किनारा हसीन लगता हैं

आज की रात हैं मुरादों की, रोशनी हैं नये इरादों की
शमा के पास जो शरारा हैं, वो शरारा हसीन लगता हैं 
 
 गीतकार : निदा फाझली 
  गायक : लता - किशोर
  संगीतकार : उषा खन्ना
  चित्रपट : स्विकार किया मैने - १९८३

समय अनमोल है

समय अनमोल है 

 
 

जिंदगी में एक साल का क्या महत्व है ? इस वर्ष फैल हुए विधार्थी से पूछिए . और अगर एक महीने का महत्व 
जानना  है तो एक माँ से पूछिए जिसने अठ महीने में बच्चे को जन्म दिया है .सात दिन का महत्व जानना है तो किसी साप्ताहिक -पत्र के सम्पादक से मिलिए और एक दिन की बात करे तो दिहाड़ी -मजदूर ही बता सकता है जिसे आज मजदूरी नहीं मिली है और अगर एक घंटे की बात करे तो इस के लिए सिकंदर से पूछिए जिसने आधा राज्य देकर एक घंटे मौत को टालने का आग्रह किया था और एक मिनिट की बात के लिए तो उस भाग्यशाली से पूछिए,जो वर्ल्ड- ट्रेड-सेंटर की इमारत गिराने से टिक एक मिनिट पहले ही बहार सुरक्षित निकला है।अब एक सेकंड तो एक सेकंड का महत्व उस धावक से पूछिए जो इसी एक सेकंड के वजह से स्वर्ण -पदक पाते -पाते रजत -पदक पर रह गया है ...

Saturday, April 6, 2013

सदा सुखी भव

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सुखी बन ने का  राज येही है की सुखमय विचारो में खो जायिए और देखना कैसे सुख दाता आपके 
जोली में सुख के फूल बिखेर देते है आपको ऐसा लगेगा जैसे आप  सितारों के देश में हो…। 
भाई एक बार करके तो देखिये .....