Thursday, March 7, 2013

ये खुदा तू बता तेरा क्या नाम है



ये  खुदा तू बता तेरा क्या नाम है, तू है रहता कहाँ तेरा क्या काम है  2
क्या है तेरी हक़ीकत जो गुमनाम है, तुझ पे खुद को छुपाने का इल्ज़ाम है


तूने दुनिया बनाई क्यू मक़सद बता...2

रूहें इसमें बसाई क्यू मतलब जाता...2

तेरे जलवों से रोशन ज़मीन आसमान, क्यू किसी को नज़र ना आता यहाँ

तेरी परदनशीनी का अंजाम है ढूंड था आज भी तुझको इंसान है

ये खुदा तू बता तेरा क्या नाम है, तू है रहता कहाँ तेरा क्या काम है


धर्म मज़हब में है तेरे चर्चे बयान, शान में तेरी लिखते हैं पर्चे वहन...2

सबके भगवान अपने ही अपने जहाँ, ना समाज तुझ को समझे ना लड़ते यहाँ

तू समजदार होके भी अंजान है, है बड़ी करदे इंसान को बदनाम है...

ये खुदा तू बता तेरा क्या नाम है, तू है रहता कहाँ तेरा क्या काम है


तूने जन्नत बनाने की मेहनत भी की फिर ये धोजक कोलने की ज़हमत क्यो की

खेल कैसे गाज़ाब था घजाब ढा दिया, नेकियों को बड़ी से मिला जो दिया

लेना कब तक तुम्हे सबका इंतिहान है, अब सभी के दिलों में ये अरमान है

ये खुदा तू बता तेरा क्या नाम है, तू नाम है, तू है रहता कहाँ तेरा क्या काम है

ये खुदा तू बता तेरा क्या नाम है, तू है रहता कहाँ तेरा क्या काम है...

क्या नाम है...ह्म

ये खुदा...4. "

Wednesday, March 6, 2013

Kasturba Gandhi Balika Vidyalay Sports & Cultural Prog.

 नमस्कार ६ मार्च २०१३ को माउंट अबू पोलो ग्राउंड में विशेष पहला राज्य स्तरिया खेल और सांस्कृतिक प्रतियोगता का समापन समारोह था जो की अपने आप में एक अलग पहचान कस्तुबा गाँधी गल्स विद्यालय की देती है इस विद्यालय की विशेषता ये है की यहाँ जो भी बालिका पढ़ने आती है वो स्कूल ड्राप आउट होती है या फिर उसे पढ़ने का मोखा  नहीं मिला हो किसी कारण वश माता पिता गरीब हो या घर की कोई बात हो जीने पढ़ने का मोख नहीं मिला हो ऐसी बालिका वो को यहाँ एडमिशन  दिया जाता है
 और उन्हें पढाया जाता है .
अब पहली बार  राज्य स्तरिया खेल और सांस्कृतिक प्रतियोगता का आयोजन माउंट अबू पोलो ग्राउंड में इन बालिका वो के लिए आयोजीत किया गया था जो अपने आप में एक सराहनीय कदम है इस का आयोजन अतिरिक जिल्ला समन्वय कांतिलाल कतरी और उन के साथियों ने बहुत ही बढ़िया करियक्रम बनाया और उस को साकार रूप दिया .
 इस में दो बाते थी एक तो खेल और दूसरा सांस्कृतिक कार्यक्रम दोनों ही प्रतियोगिता चली और तीन दिन का ये विशाल आयोजन बालिका वो में
एक नया जोश और उमंग और समझ भर दिया है उनके चेहरे और बोल से लगता था की बालिका वो को ऐसी विशाल आयोजन की जरुरत थी जो बहुत समय के बाद सुरु हुवा और उसका पूरा पूरा लाभ बालिका वो ने उठाया है और इस आयोजन का एक और बहुत ही सफल कार्यक्रम ये भी 
 था की बालिका वो को जेंडर की शिक्षा और आत्मा विश्वास जागने के लिए विशेष सेल्फ सिक्यूरिटी का ट्रेनिंग दिया गया जो बलिकवो को कभी कभी आधारित न होना पड़े .....
कांतिलाल कतरी और बहार से आये हुवे सभी टीचर्स और आयोजक बहुत ही लगन के साथ इस कार्यक्रम को सफल बनाया और बालिका वो की उमंग देख उन्हें भी बहुत ख़ुशी और आगे भी इस तरह के  प्रयोग करने का
 संकल्प लिया है
बालिका वो में  दम कम देख टीचर्स का उमंग भी आस्मां को छु रहा था क्यू की बालिका वो के साथ वो भी बच्चे बन गए थे और बालिका वो की प्रस्तुति देख वो आश्चर्य चकित हो गए थे .बालिका वो की प्रातिबा का वो बहुत गुण गन भी कर रहे थे अलग अलग  विभाग में प्रतियोगता का आयोजन भी अलग पहचान बना रहा था
 बालिकाए भी अपनी अलग पहचान बना रही थी खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रम में कोई एकल गायन तो समुह गायन में कोई नाटक में कोई डांस में और कुछ खेल में भागदौड़ , कबड्डी , क्रिकेट , अदि अदि  ....में अपनी पहचान बनायीं है ...
आयोजक और टीचर्स का प्रयोग है की ये बालिका वो को नेशनल और स्टेट लेवल का खेल में भाग लेने का मोख मिले और साथ ही भारत और विदेश में भी खेल या संस्कृतक कार्यक्रम के जरिये ये बालिकाए आगे बड़े
और अपना नाम करे ये कोशिश है .. सभी टीचर्स बालिका वो की परतिभा के बारे में बता रही थी की ये कही भी दुसरे बालिका वो से अलग नहीं है
इन में भी वाही जोश और उमंग और कुछ करने की जज्बात है इन्हें सही तरह से ट्रेन किया जय और मोख मिले तो ये भी सानिया और पी टी उषा जैसी बन सकती है ........तो ये थी कुछ काश बाते कस्तूरबा गाँधी बालिका  विद्यालय की . पहला राज्य स्तरिया खेल और सांस्कृतिक प्रतियोगता का समापन समारोह की ........                            .रेडियो मधुबन 90.4fm सुनते रहो मुस्कुराते 

Krishi Milet Bazara Mela At Sirohi







नमस्कार  किशन भाई बहनों  जिल्ला सिरोही में ५ मार्च को किशानो का काश आकर्षण मिलेट (बाजारा ) मेला
आयोजन सिरोही कृषि के द्वारा किया गया था जो की अपने आप में अनोखा रहा ...जिस में किशानो को बाजारा  का महत्व बताया गया और बाजारा  एक विशेष खाद्य पदार्थ है जो हमारी सवास्थ की रक्षा करता है डायबिटिक या शुगर पेसंट को आराम देता है और इस को विबिन रूप से खाने के उपयोग में लिया जाता है आज मार्किट में बाजारा  के बिस्कुट भी मिल रहे है बाजारा  का रोटी बना सकते है किचड़ी बना सकते है लड्डू बना सकते है ..जो चाहे आप बना कर इस का उपयोग अच्छे सेहत के लिए कर सकते है ....सुंदर सेहत का राज है बाजारा  .....मेला का मुक्य आकर्षण बाजारा  के वेंजन रहा जो किशान भाई बहनों के बीच एक परतियोगिता का भी आयोजन किया गया था जिस में किशनोने  बहुत ही उमंग से  हिस्सा लिया और आयोजन को सफल बनाया जिस के लिए उन्हें विशेष इनाम भी दिए गए .......साथ ही साथ नए टेकनिकी की जानकारी किशानो को दी गयी और विशेष किशान महानुबवो से भी अनुभवों का लाभ दिया गया जो की आपने आप में एक सराहनीय कदम है दुसरे किशान भाई  बहनों के लिए ....और विबिन स्टाल लगे थे जो अलग अलग खेती करने और बीज उपचार  की जानकारी दे रहे थे ......और अंत में एक विशेष बात कहना चाहूँगा किशान की जीवन कहानी पर  (SDM)
महोदय ने प्राकश डाला  की कब तक किशान मार्किट के दलालों से जुजता रहेगा आज किशान पूरा साल मेहनत करता है और भाव उसको वाही मिलता है जो दस साल पहले मिला था उसके घर में या जीवन शैली में कोई परिवतन नहीं हुवा है वो हमारा अन्न दाता  होकर भी कर्ज में डूबा है  उसे अपने हक के लिए भी यहाँ वहा भागना होता है जब की किशान का पैदा किया आनाज को बाज़ार में बेचकर लोग आलीशान ज़िन्दगी जी रहे है उनके पास सब कुछ है और किशान के पास कुछ भी नहीं  ऐसा क्यू ? इस पर हम सब को सोचना है और काश कृषि अधिकारी सोचे की इसका निधन क्या है और कैसे हो सकता है ..धन्यवाद ... ये  शब्द  सब के दिलो को छु गया और पूरी सभा तालियों की आवाज़ से गूंज उठी ......पर क्या अपने कभी इस बारे में सोचा है अगर नहीं तो एक बार सोचिये और इस पर कुछ करिए ......आपका अपना रेडियो मधुबन 90.4fm सुनते रहो मुस्कराते रहो.

Golden festival at Delhi

देल्ही का गोल्डन फेस्टिवल सेलिब्रेशन सुरु हो गया है २ मार्च १३  से १० मार्च १३ तक . देल्ही का ये गोल्डन फेस्टिवल मिनी कुम्भ मेल है जिसमे आप शिव से निकलते गंगा का दृश और गंगा नहाते हुवे कुछ भक्त और आगे एक पारवती देवी की मंदिर है जिसका आप दर्शन कर सकते है और बड़े स्क्रीन पर फ्लिम देख सकते है









और  १२ ज्योथिलिंगम का दर्शन भी कर सकते है और बहुत ही सुंदर प्लेनेटोरियम का स्टॉल है जहा आप आकाश तारामंडल और ग्रह का दर्शन भी कर सकते है और साथ ही विबिन स्टॉल लगे है जहा अलग अलग ज्ञान बिंदु पर विशेष प्रदर्शन और समझ दिया जा रहा है जैसे की इश्वर एक है ,पूज्य और पुजारी ,परियावारण शुरक्षा , पतित पवन कौन ,राजयोग ....और साथ में राजयोग शिबिर जिस से आप को मन की शक्ति और ताजगी मिल सके और विशाल सभा का आयोजन भी है जिस में विशेष वक्ता के द्वारा ज्ञान का भंडार दिया जाता है और वो भी अलग अलग विषय पर और पूरा पंडाल बहुत ही सुंदर सजाया गया है ......तो भाई आप बस पढ़ते रहेंगे या जाने की तयारी भी करेंगे ये तो आप पर है पर मेरा काम तो सिरिफ बताना था ........

Saturday, March 2, 2013

" परम सुख का अनुभव "

परम सुख का अनुभव 
परम सुख  भाग्या  से भी प्राप्त होता है और समझ से भी अब भाग्य की बात छोड़ कर अगर हमे परम सुख का अनुभव करना है तो समझ से काम लेना होगा  कारन ये है की भाग्य तो  सब का एक जैसा नहीं है और उसके लिए पुण्य का खता भरपूर चाहिए लेकिन समझ से तो सब प्राप्त कर सकते है और समझ की बात करे तो बहुत ही सिंपल है पर उसका अभ्यास चाहिए जैसे  अप स्कूल गए तो बहुत दिनों तक गए तब जाकर आपको  ये पढ़ मिला वैसे ही एक गहरी अद्यात्मिक  चिंतन ही आपको परम सुख दे सकता है वो ये है 
 """   आप  कभी परमात्मा और अपनी मौत को न भूले  दूसरा आप ने अगर किसी का भला किया है तो तुरंत भूल जाएये  और कभी आप को किसी दे दुःख या धोखा दिया हो तो उन्हें भी भूल जाएये  "   
और येही परम सुख का मंत्र है  परम सुख का सही अर्थ है सुख दुःख से परे होना ,अच्छा और बुरा से परे होना 
जीवन और मूर्त  से परे होना ..................

Friday, March 1, 2013

Khel Zindagi ka

एक पुरानी कहावत है  "पड़ेंगे लिकेंगे तो बनेंगे नवाब खेलेंगे कूदेंगे तो होंगे ख़राब" लेकिन आज ये कहावत स्रिफ़ कहावत बन गया है कुछ लोग ही नहीं सारी दुनिया ही आज खेल के बारे में उनका रुख बदल गया है आज राजस्थान के वन वाशी गाँव में रहने वाला लड़का मात्र ५ वी कक्षा पास ओलंपिक खेलने गया ........और अच्छा नाम भी किया है और समाज में उसका मान सामान भी होता है की हमरे गाँव का लड़का ओलंपिक में जाकर आया है मुझे लगता है आज कहावत में परिवर्तन करना है नियम और सयम मानव जीवन की शोभा है बस चाहे खेल में हो या पढाई में सब जगह आपकी खुद की लगन ही काम करता है किसी भी दिशा में आप जय बस पुरे दिल से करो अच्छा मेहनत करो तो आप कामियाब होंगे ....... "पढेंगे लिकेंगे तो बनेंगे नवाब और अच्छा  खेलेंगे कूदेंगे तो भी बनंगे नवाब "

भले लड़ना झगड़ना पर................

भले लड़ना झगड़ना पर
कभी अपने देखा है बच्चे को गॊर  से उनकी एक आदत है वो आपस में लड़ते झगड़ते और कभी पीट जाते है लेकिन वो जल्दी मिल जाते है भूल जाते है और साथ में मिलकर आपस में खेलते रहते है 
बड़ो में भी ये बाते होती है पर बच्चो में और बड़ो में अंतर है बच्चे भूल जाते है और बड़े याद रखते है और याद रखने से वैर बनता है और वैर से दुसमनी बढती है और दूरिय बढाती है अगर हम बच्चो से ये बात सिख ले की लड़े झगड़े और हो सके तो एक दो को पीट भी दे पर वैर नहीं रक्खे याद रक्खे बस दुसरे ही पल  भूल जय 
तो  बहुत बड़ी हम काम कर जायेंगे गुस्सा तो बच्चे भी करते है पर वो पलते नहीं इस लिए हमे भी गुस्सा आये तो करे पर उसका पालन न हो बस भूल जय और बातचीत करे आपस में अगर अप गुस्सा करके बातचित बंद करते हो तो बहुत नुकशान हो जाता है कुछ भी हो बातचीत करे और गुस्सा को भूल जय मुझे लगता है हम सब जल्दी बड़े तो हो गए लेकिन बच्चा बनाना बकी है कितना अच्छा होग अगर सब बच्चे बन जय मेरा मतलब बच्चो जैसा लदे झगड़े पर बातचीत करे और प्यार से रहे ..........