Wednesday, April 17, 2013

फ़रिश्ता बनना है

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फ़रिश्ता बनना है  

ये लाइन सुनते ही ख़ुशी होता है दिल भी कहता है हां बनाना है पर फिर वाही बात होती है कैसे ?
कभी कभी हम अनुभव करते है ख़ुशी का हल्कापन का या संतोष का भी पर रेगुलर में गड़बड़ होती है 
 फिर से वाही  कभी कभी वाली बात होती है क्यू की हर दिन एक जैसा नहीं होता और फिर हम जिस माहोल में रहते है उसका प्रभाव और जो कर्म हम करना चाहते है उसके प्रति सब का विचार कैसा है इस का भी प्रभाव होता है…. शयद ..बहुत समय से कभी ख़ुशी कभी गम वाली बात चल रही है क्या जीवन का नियम यही है अगर नहीं है तो फिर क्या है अगर येही है तो टिक है पर फ़रिश्ता बनना है तो कुछ बात होनी है,  चाहे कुछ भी हो जीवन का नियम,  कुछ अलग करना होगा जी हां .... और संसार चक्र या सृष्टि चक्र हमको इशारा दे रहा है की अब इस धरती को फरिश्तो की जरुरत है ..जिस से ये धरती माँ अपने आप में समतोल कर सखे, धरती माँ पर बहुत बोझ हो गया है उसे उतार कर सब के लिये नया जमी नया असमा धरती माँ बनानी चाहती है .......
.तो चले  सब नहीं तो कुछ लोग ही सही एक सुरवात करे .. हम को फ़रिश्ता बनाना है। पर इस के लिए हमको  सबको भूलना होगा ना मै ना तुम बस असमा हो याने देह सहित देह के सब धर्म भूल आत्मा स्वरुप में रहकर परमधाम और परमात्मा को याद करते उनमे ही खो जाय ...आप  सोच रहे होंगे भोजन आदि करे न करे इस के लिये मिले तो टिक न मिले तो टिक होना चाहिए वरण फ़रिश्ता नहीं बन सकते क्यू की फ़रिश्ता माना साक्षी हर इंसान हर वस्तु यहाँ तक की संसार की हर बातों से आपको साक्षी होना पड़ेगा ..और रोज मरना होगा .
ऐसा करने से संभव होगा फ़रिश्ता बनाना ... 








Tuesday, April 16, 2013

"पानी पर खीची गई लकीर "

पानी पर खीची गई लकीर 

पानी पर खीची गई लकीर की कोई उम्र नहीं होती 
जीवन भी लगभग ऐसा ही है 
पता नहीं कब कूच करने का नगाड़ा बज जय 
जीवन में ख़ुशी और गम के साथ एक अस्मंजसता  बनी है 
कल किसने देखा है कौन कब कैसे उठेगा कुछ पता नहीं है 
अगर ये सत्य है तो हम सब को अभी सोचना होगा  और करना होगा 
अत : सौ काम छोड़कर सत्संग में जाना चाहिए और 
हज़ार काम छोड़कर धर्म -ध्यान करना चाहिए 
अगर आज ऐसा नहीं किया तो कल बहुत बुरा होगा 
जैसे ...सोमवार को जन्म हुआ , मंगलवार को बड़े हुवे ,
बुधवार को विवाह हुआ , गुरुवार को बच्चे हुवे ,
शुक्रवार को बीमार पड़ गए , शनिवार को अस्पिताल गए 
और रविवार को चल बसे ........
अपने दिल से पूछिए ...क्या येही ज़िन्दगी है 

अमानत है ज़िन्दगी

" अमानत है ज़िन्दगी  "
एक गहरी बात ये है जो सत्य है और 
हम सब जानते हुवे भी अन्जान रहते है 
दुनिया में तुम्हारा अपना कोई नहीं है 
जो कुछ तुम्हारे पास है वह एक अमानत है 
बेटी है तो वह दामाद की अमानत है 
बेटा  है तो वह बहू की अमानत है 
शारीर श्मशान की और ज़िन्दगी मौत की अमानत है 
तुम देखना ....एक दिन बेटा  बहू का हो जायेगा ,
बेटी को दामाद ले जायेगा ,
शारीर श्मशान की राख में मिल जायेगा 
और ज़िन्दगी मौत से हार  जायेगी .
कहना ये है की अगर ये सत्य है तो 
अमानत को अमानत समझ कर ही उसकी 
संभाल करना है और अगर उस पर 
माल्कियत को जताया तो रोना पड़ेगा 
क्यू की ये फिर अमानत में कायनात हो जायेगा 
रिलैक्स या ख़ुशी का अनुभव करना है 
तो अमानत को अमानत ही समझना है 

Sunday, April 14, 2013

नेचुरल अटेन्सन


नेचुरल अटेन्सन लाने के लिए बहुत काल का (अटेन्सन देने का )अभ्यास चाहिए तब ही हम नेचुरल अटेन्सन
का अनुभव कर सकते है  जिस से हमको टेंशन आ नहीं सकता  
when we keep natural Attention then we will away from Tension but the problem is to keep natural attention one should have  a good practice of Natural Attention first.

सत्य का रास्ता क ि न है

सत्य का रास्ता क ि न है 
इस रस्ते पर हज़ार चलने की सोचते है मगर 
सौ ही चल पाते है .नौ सौ तो सोचकर ही रह जाते है 
और जो सौ चल देते है, उनमे केवल दस ही मंजिल तक जाते है 
नब्बे तो रस्ते में ही भटक जाते है 
और जो दस जाते है , उनमे भी सिर्फ एक ही सत्य को उपलब्द हो पता है 
नौ फिर भी किनारे पर आकर डूब जाते है 
तभी तो कहते है कि सत्य एक है और याद रखे ..
सत्य परेशान तो हो सकता है लेकिन पराजित नहीं 
माना सत्य की नैयया हिलेगी दुलेगी पर डूबेगी नहीं 

Saturday, April 13, 2013

फीचर से फ्यूचर बनता है



फीचर से फ्यूचर बनता है पर इस के लिए वर्तमान को बेहतर समझना होगा वर्तमान को  समझने के लिए एकान्त  बेहद जरुरी है जितना आप  एकान्त का  अभ्यास  करेंगे उतना ही समझ की मजबूती बढेगी और सोमान में रहना सहज हो जायेंगा जिस से आप सुख ,शांति और ख़ुशी की अनुभूति करेंगे और वाही अनेक आत्माओं का फ्यूचर श्रेष्ठ बना सकता है 

Friday, April 12, 2013

दिव्य बुद्धि का सही अर्थ


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  दिव्य बुद्धि का सही अर्थ

दिव्य बुद्धि का सही अर्थ है  बुद्धि माना सिंपल भाषा में बात करे तो विचार सुंदर और सकारात्मक विचार 
अंग्रेजी में किसी ने कहा है (thoughts can move mountains ) याने शुद्ध और पवित्र विचार, मन और बुद्धि को 
दिव्या बनाते है .जिस व्यक्ति को शुद्ध और सकारात्मक विचार करने का तरीका आ गया, तो बस उसकी ही बुद्धि दिव्या बनती  है और वाही सिद्धि स्वरूप बनता है एक और तरीका ये भी है मन के अन्दर शुद्ध भाव निर्माण करे जैसे दया, प्रेम ,करुणा ..जिससे आपकी बुद्धि दिव्यता को प्राप्त करेंगी और आप सिद्धि स्वरूप 
बन जाएंगे ...ॐ शांति