Wednesday, March 2, 2016

Hindi Geet.....Roj karo Chintan

रोज करो चिन्तन
रोज करो चिन्तन
क्या क्या पढ़ा  गुना क्या क्या
इस पर कुछ करो मनन
रोज करो चिन्तन
रोज करो चिन्तन।
भूल न हो कोई तुमसे
इसका भी ध्यान रहे
मन में किसी भी मोह का
भी कुछ ना स्थान रहे
बैरागी पर रहता है
आपने स्वरूप का धन।
रोज करो चिन्तन
रोज करो चिन्तन
कहा बाबा ने जो करना
कुछ नहीं छुपना है
उसके जैसा प्यार का सागर
बस बन जाना है
निर्मोही रहने का अपनाना
तुम सदा चलन
रोज करो चिन्तन
रोज करो चिन्तन
शक्तिमान के पुत्र कभी ना
शक्तिहीन होते
सत्य रहे चेहरे पे दिव्यता
कभी ना खोट
बाबा का आशीर्वाद जगत में
सबसे बड़ा है धन
रोज करो चिन्तन
रोज करो चिन्तन 
 
Lyrics by - Sushil sarit

Saturday, February 27, 2016

Hindi Geet ..... Gyan yog ki karo

ज्ञान योग की करो शौक से 
शौक से करो पढ़ाई 
इसी पढ़ाई से हो सकती 
सच्ची नेक कमाई 

ज्ञान बिना है लाभ भला 
कब किसको जग में मिलता। 
माया करती लढाई, नशा 
उल्टा ही उल्टा चढ़ता 
अपनी कमी को छुपाकर 
खुद को ठगना कभी 
ज्ञान योग की करो शौक से 
शौक से करो पढ़ाई 

याद रहे विपरीत नियम के 
कुछ भी नहीं है करना 
कंकड़ रूपी औगुण छोड़के 
गुण के मोती तुम चुगना 
बन कर हँस ज्ञान - सागर में 
रहना मेरे भाई। 

ज्ञान योग की करो शौक से
शौक से करो पढ़ाई 
इसी पढ़ाई से हो सकती 
सच्ची नेक कमाई 

Lyrics - Sushil Sarit




Hindi Geet ......Satya dharm ki

सत्य धर्म का कार्य को स्थापित 
    बाबा ने जो उसको मानो 
उसको समझो धर्म की 
सच्ची रूह को तुम पहचानों। 

विष्णु पूरी जाने की इच्छा है तो 
एक संग जुड़ जाओ 
एक पिता को याद करो दिल से 
उसकी ही तरफ मूड जाओ। 

जो अशुद्ध है खान - पान 
उसको त्यागो यह मानो 
इसको समझो धर्म अपना 
सच्ची रूह को तुम पहचानों। 

पूर्ण ह्रदय से वफा करोगे 
  तो सम्पूर्ण बनोगे 
दुःख से मुक्ति मिलेंगी 
सुख की सीढ़ी चढ़ेंगे। 

सत्य धर्म का कार्य को स्थापित 
    बाबा ने जो उसको मानो 
उसको समझो धर्म की 
सच्ची रूह को तुम पहचानों।



                                                                  Lyrics By - sushil sarit
 

Friday, February 26, 2016

My Collection of Shayaris



पास आकर सभी दूर चले जाते हैं;
अकेले थे हम, अकेले ही रह जाते हैं;
इस दिल का दर्द दिखाएँ किसे;
मल्हम लगाने वाले ही जखम दे जाते हैं!
 

प्यार करने वालों की किस्मत खराब होती है,
हर वक़्त इंतेहा की घड़ी साथ होती है,
वक़्त मिले तो रिश्तो की किताब खोल के देख लेना,
दोस्ती हर रिश्ते से लाजवाब होती है.. 
 
कहाँ मांग ली थी कायनात मैंने,
जो इतना दर्द मिला,
ज़िन्दगी में पहली बार खुदा,
तुझसे ज़िन्दगी ही तो मांगी थी।।  
          
मुस्कारने के मकसद न ढूँढ,
वर्ना जिन्दगी यूँ ही कट जाएगी,
कभी बेवजह भी मुस्कुरा के देख,
तेरे साथ साथ जिन्दगी भी मुस्कुरायेगी।        



रूठी जो ज़िन्दगी तो मना लेंगे हम,
मिले जो गम वो सह लेंगे हम,
बस आप रहना हमेशा साथ हमारे तो,
निकलते हुए आंसुओं में भी मुस्कुरा लेंगे हम!

 
 हम भी है कुछ अधूरे से तेरे बिना
इतना की अलफ़ाज़ में नही बोल सकते
बिना बोले समझ जाती है तू मुझे
इसी सुकून से जी रहा हु आज भी यहा।।
 
वो दर्द ही क्या जो आँखों से बह जाए,
वो ख़ुशी ही क्या जो होठों पर रह जाए,
कभी तो समझो मेरी ख़ामोशी को,
वो बात ही क्या जो लफ्ज़ आसानी से कह जाए!
 

रूठा रहे मुझसे वो, मंजूर है, लेकिन,
उसे समझा दो कि वो मेरा शहर ना छोङे,
प्यार तो किस्मत में नहीं है शायद,
कम से कम उसका दीदार तो होता रहे।

Monday, February 15, 2016

Agar Aasman Tak Mere Hath Jate......Hindi Lyrics

    अगर आसमान तक मेरे हाथ जाते
    तो कदमो मैं तेरे सितारे बिछाते
    अगर आसमान तक मेरे हाथ जाते
    तो कदमो मैं तेरे सितारे बिछाते
    कही दूर परियो की नगरी मैं चल कर
    मोहब्बत का एक आशियाना बनाते

    अगर आसमान तक मेरा हाथ जाते
    तो हम चाँदनी से राहे सजाते
    कही दूर परियो की नगरी मैं चल कर
    मोहब्बत का एक आशियाना बनाते
    अगर आसमान तक मेरे हाथ जाते
    तो कदमो मैं तेरे सितारे बिछाते

    यहा पर वाहा पर बिखेरेंगे कालिया
    महकती रहेगी ये फूलो की गलिया
    यहा पर वाहा पर बिखेरेंगे कालिया
    महकती रहेगी ये फूलो की गलिया
    ये ज़िल मिल करेरी रेशमी से नज़ारे
    चलेंगे यहा धड़कनो के इशारे
    चलेंगे यहा धड़कनो के इशारे

    तो किरणों का आँगन मैं पेहरा बिठाते
    अगर आसमान तक मेरे हाथ जाते

    यहा सिर्फ़ बरसे वाफाओ के बदल
    भिगो के हम को ये कर देंगे पागल
    यहा सिर्फ़ बरसे वाफाओ के बदल
    भिगो के हम को ये कर देंगे पागल

    यहा हम बहारो की चादर बिछाए
    मोहब्बत की खुशबू यहा पर लुटाए
    मोहब्बत की खुसबू यहा पर लुटाए
    खुशियो के पंछी यहा हम उड़ते
    अगर आसमान तक मेरे हाथ जाते

    कही दूर परियो की नगरी मैं चल कर
    मोहब्बत का एक आशियाना बनाते
    अगर आसमान तक मेरा हाथ जाते
    तो हम चाँदनी से राहे सजाते
    तो कदमो मैं तेरे सितारे बिछाते
    तो हम चाँदनी से राहे सजाते
   तो कदमो मैं तेरे सितारे बिछाते।

गीतकार - महेन्द्र दळवी
संगीतकार - दिलीप सेन और समीर सेन
गायक - सोनू निगम और अनुराधा पोडवाल




Thursday, February 11, 2016

Dadi Janki ji A spiritual Way - 3

दादी जानकी जी ......

आध्यात्मिकता किसी आश्रम में रहने की बात नहीं है। दादी जानकी का जो तीसरा चारित्रिक गुण है, वह यह कि वह प्रत्येक प्रश्न, प्रत्येक समस्या को उसके शुद्धतम रूप में, उसकी जड़ में जाकर समझती है। दादी जी से जब कोई सवाल करता है चाहे वो बड़ा हो या छोटा हो दादी उसे सुनती है और उसे अपने चेतना के साथ जोड़कर उसका जवाब ढूंढ़ती है। इस से मैंने ये सीखा की हम सब के अंदर एक अदृश्य शक्ति है और उस का उपयोग नहीं करते है लेकिन दादी उसका उपयोग बखूबी करती है। इस लिए उनका जवाब सब के अन्तकरण को छू लेता है। और दादी जब भी बात करती है तो वो दर्शकों के सर्वभौमिक प्रकृति और स्वाभाव की बात करती है जो हम सब की एकता है आध्यत्मिक एकता है जीवन में हम सब को इस पर काम करना है जो सत्य है वास्तविकता है। दादी जो कुछ कर रही है उसके लिए आत्माबल चाहिए अगर हम भी इस तरह कुछ करे तो दुनिए के विपरीत दिशा में जायेंगे। जहाँ दादी बहुत आगे निकल चुकी है। दादी के कदम के निशान पे भी अगर हम चलेंगे तो आज हम दुनिया की जिन तमाम मसालों पर जहा हम लंबी बहस कर रहे है वो न कर अमन और शांति की अनुभूति में लग गए होते। 

Tuesday, February 9, 2016

Dadi Jankiji A spiritual way - 2

ॐ शांति
एक आध्यात्मिक गुरु या नेता या अभिनेता वही होता जिनके अन्दर एक रूपांतरण या परिवर्तन करने की शक्ति या क्षमता हो। आप उन लोगों को पहचान सकते है, क्यों कि  वे केवल अपने अस्तित्व द्वारा आपके जीवन में बदलाव ला पाए है। कुछ लोग संसार में ऐसे भी जो अच्छा बोल सकते है, वो आपको ज्ञान दे सकते है, पर वे आपके लिए सबकुछ नहीं है। जैसे दादी जानकी जी को एक बार मिलते ही मेरे अंदर एक रूपांतरण हुआ और मैं दादीजी को अपना आदर्श मनने लगा। ऐसा बहुत बार हुआ की मै बहुत से गुरु या नेताओं से मिलता रहा पर दादीजी की एक मुलाकात मेरे जीवन का यादगार पल बन गया। और मुझे बार बार इस पर सोचने या मंथन करने के लिए महबूत किया।

हम सब चाहते है भाईचारा हो, घृणा ना हो, विरोध ना हो अगर ऐसा होता भी है तो हमारी योग्यता हो आध्यात्मिक प्रेम को साझा करने की। जैसे दादी का व्यक्तित्व आदर्श और वास्तविकता में कहीं भी ब्रेक डाउन नहीं है चाहें वो कही भी रहे। योग्यता मुलभुत रूप से एक व्यक्ति के चैतन्य के स्तर से जुडी हुई है।

जितना ही आपका चैतन्य का स्तर कम होगा, उतना ही अमृत और विष में अंतर करने या समझने की योग्यता कम होगी।  जितना आपकी चैतन्य का स्तर ऊचा होगा उतना आपकी योग्यता ज्यादा होगा।

आप किसी से पूछते है ," क्या आप प्रेम करते है ?" तो कहेगा ," हाँ मैं प्रेम करता हूँ ," पर हकीकत ये है जहाँ उसे प्रेम करना है वो प्रेम वहा नहीं दिखता। जैसे की संघर्ष के समय प्रेम होना चहिये पर नहीं है। और जिन्हें हम पसंद नहीं करते है वहा प्रेम होना चाहिये। ये भी मनुष्य की योग्यता पर है जो सब में नहीं है ये कुछ लोगो में है  जैसे दादी जानकी जी मैं मैंने देखा।