Monday, May 16, 2016

नव वर्ष के नव प्रभात पर.....


नव वर्ष के नव प्रभात पर,
एक नया प्रकाश आया है। 
हिंदुस्तान के निवासियों को,
यह नवीन संदेश लाया है। 

जगमगाती हमेशा ज्योत रहे,
नववर्ष सदा खुशहाल रहे। 
आतंकवादियों को कर समाप्त,
भारत वर्ष हमेशा आबाद रहे। 

भारत वर्ष से भ्रष्टाचार हटाकर,
ईमान की मिसाल कायम होगी। 
महँगाई पर लगा अंकुश,
जनता में कुछ राहत होगी। 

भारत वर्ष सदा प्रगति करे,
काका भारतीय की मंगल कामना है। 
नववर्ष का करें स्वागत,
यह मेरी हार्दिक मन-भावना है। 

@@@@@ॐ @@@@@

Vande Mataram....

वन्दे मातमतरम , गईये 
भारत का मान बढाइये 
सम्प्रदायिक का सदभावना की,
प्रेम की धारा बहाइये। 

दानवता को दूर भाग।कर,
मानवता अपनाइये। 
आतंकी विस्फोट विरोध में,
सभी एक हो जाइये। 

सम्प्रदायिकता के जहर से 
हमे सदा ही बचना है। 
सदा रहे सभी प्रेम से,
सच्चा भारत बनाना है। 

हिंदुस्तान में अमन चैन रहे,
यह सब को संकल्प लेना है 
आतंककारी गतिविधियों को,
जड़ से सदा हटाना है।


संगम पर......


संगम पर आपने  दिए ऐसे वरदान 
जिस से जन जन का भला कर पऊ 
निस्वार्थ करू देश सेवा 
तन मन धन भी लुटा पऊ 

ब्राह्मण बन ज्ञान बांट कर 
अंधकार को दूर भगाऊ 
प्रकाश रुपी आत्मा दीप से 
देश में नई ज्योति जगाऊ 

संगम पर आपने  दिए ऐसे वरदान 
जिस से जन जन का भला कर पऊ 

Sunday, May 15, 2016

शिव भोले नटराज आज .......

शिव भोले नटराज आज,
तुम्हें प्रणाम करता हूँ। 
आपके भरोसे मैं सदा 
किसी से नहीं डरता हूँ। 

आपकी साक्षी में मर्यादाओं से,
मैं आज संकल्प करता हूँ। 
देश सेवा में निरन्तर लीन रहूं,
यही नम्र निवेदन करता हूँ। 

विद्या अरु बुद्धि का 
समन्वय आज है। 
आद्य गुरु कलामूर्ति 
साक्षी नटराज है। 

हे, महादेव, वरदान दो ऐसा,
सदाअर्पित जनसेवा में रहूँ।
ऊंच नीच का भेद त्याग 
जन जन की सेवा में रहूं।

सरस्वती माँ........

सरस्वती माँ शारदे ,
वरदान हमको दीजिए 
रात दिन हो स्मरण तेरा 
ऐसी कृपा अब कीजिये। . 
सरस्वती माँ........ 

मुर्ख हूँ  नादान हूँ  मैं ,
ध्यान से अनजान हूँ। 
तेरी शरण में आ गया हूँ। 
ज्ञान मुझको दीजिए।।

काव्य कौशल कुछ न जानु 
मात तुझको अपना मानू। 
पुत्र तेरा मानकर माँ। 
काव्य शक्ति दीजिए।
सरस्वती माँ........ 
 

Monday, April 11, 2016

आप को देख कर देखता रह गया - gazal

      

आप को देख कर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया

आते आते मेरा नाम सा रह गया
उसके होंठों पे कुछ कांपता रह गया

वो मेरे  सामने ही गया
और मैं रस्ते की तरह देखता रह गया




झूठ वाले कहाँ से कहाँ बढ़ गये
और मैं था के सच बोलता रह गया


आते आते मेरा नाम सा रह गया
उसके होंठों पे कुछ कांपता रह गया
आते आते मेरा नाम सा रह गया


Friday, March 25, 2016

नकारात्मक और सकारात्मक सोच



 आप सब ने नकारात्मक और सकारात्मक सोच के बारे में न केवल ढेर सारे लेख ही पढ़े होंगे, बल्कि जीवन-प्रबंधन से जुड़ी छोटी-मोटी और मोटी-मोटी किताबें भी पढ़ी होंगी। जब आप इन्हें पढ़ते हैं, तो तात्कालिक रूप से आपको सारी बातें बहुत सही और प्रभावशाली मालूम पड़ती हैं और यह सच भी है। लेकिन कुछ ही समय बाद धीरे-धीरे वे बातें दिमाग से खारिज होने लगती हैं और हमारा व्यवहार पहले की तरह ही हो जाता है।

इसका मतलब यह नहीं होता कि किताबों में सकारात्मक सोच पर जो बातें कही गई थीं, उनमें कहीं कोई गलती थी। गलती मूलतः हममें खुद में होती है। हम अपनी ही कुछ आदतों के इस कदर बुरी तरह शिकार हो जाते हैं कि उन आदतों से मुक्त होकर कोई नई बात अपने अंदर डालकर उसे अपनी आदत बना लेना बहुत मुश्किल काम हो जाता है लेकिन असंभव नहीं। लगातार अभ्यास से इसको आसानी से पाया जा सकता है।

महसूस करते हैं कि हमारा जीवन मुख्यतः हमारी सोच का ही जीवन होता है। हम जिस समय जैसा सोच लेते हैं, कम से कम कुछ समय के लिए तो हमारी जिंदगी उसी के अनुसार बन जाती है। यदि हम अच्छा सोचते हैं, तो अच्छा लगने लगता है और यदि बुरा सोचते हैं, तो बुरा लगने लगता है। इस तरह यदि हम यह नतीजा निकालना चाहें कि मूलतः अनुभव ही जीवन है, तो शायद गलत नहीं होगा। 
 

आप थोड़ा सा समय लगाइए और अपनी जिंदगी की खुशियों और दुःखों के बारे में सोचकर देखिए। आप यही पाएंगे कि जिन चीजों को याद करने से आपको अच्छा लगता है, वे आपकी जिंदगी को खुशियों से भर देती हैं और जिन्हें याद करने से बुरा लगता है, वे आपकी जिंदगी को दुखों से भर देती हैं।

आप बहुत बड़े मकान में रह रहे हैं लेकिन यदि उस मकान से जुड़ी हुई स्मृतियां अच्छी और बड़ी नहीं हैं तो वह बड़ा मकान आपको कभी अच्छा नहीं लग सकता। इसके विपरीत यदि किसी झोपड़ी में आपने जिंदगी के खूबसूरत लम्हे गुजारे हैं, तो उस झोपड़ी की स्मृति आपको जिंदगी का सुकून दे सकती हैं।

इस बारे में एक कहानी है- एक सेठजी प्रतिदिन सुबह मंदिर जाया करते थे। एक दिन उन्हें एक भिखारी मिला। इच्छा न होने के बाद भी बहुत गिड़गिड़ाने पर सेठजी ने उसके कटोरे में एक रुपए का सिक्का डाल दिया। सेठजी जब दुकान पहुंचे तो देखकर दंग रह गए कि उनकी तिजोरी में सोने की एक सौ मुहरों की थैली रखी हुई थी। रात को उन्हें स्वप्न आया कि मुहरों की यह थैली उस भिखारी को दिए गए एक रुपए के बदले मिली है।


जैसे ही नींद खुली वे यह सोचकर दुखी हो गए कि उस दिन तो मेरी जेब में एक-एक रुपए के दस सिक्के थे, यदि मैं दसों सिक्के भिखारी को दे देता तो आज मेरे पास सोने की मुहरों की दस थैलियां होतीं। अगली सुबह वे फिर मंदिर गए और वही भिखारी उन्हें मिला। वे अपने साथ सोने की सौ मुहरें लेकर गए ताकि इसके बदले उन्हें कोई बहुत बड़ा खजाना मिल सके। उन्होंने वे सोने की मुहरें भिखारी को दे दीं।

वापस लौटते ही उन्होंने तिजोरी खोली और पाया कि वहां कुछ भी नहीं था। सेठजी कई दिनों तक प्रतीक्षा करते रहे। उनकी तिजोरी में कोई थैली नहीं आई। सेठजी ने उस भिखारी को भी ढुंढवाया लेकिन वह नहीं मिल सका। उस दिन से सेठजी दुखी रहने लगे। 
 

क्या आप यह नहीं समझते कि सेठजी ने यह जो समस्या पैदा की, वह अपने लालच और नकारात्मक सोच के कारण ही पैदा की। यदि उनमें संतोष होता और सोच की सकारात्मक दिशा होती तो उनका व्यक्तित्व उन सौ मुहरों से खिलखिला उठता। फिर यदि वे मुहरें चली भी गईं, तो उसमें दुखी होने की क्या बात थी, क्योंकि उसे उन्होंने तो कमाया नहीं था लेकिन सेठजी ऐसा तभी सोच पाते, जब वे इस घटना को सकारात्मक दृष्टि से देखते। इसके अभाव में सब कुछ होते हुए भी उनका जीवन दुखमय हो गया।

इसलिए यदि आपको सचमुच अपने व्यक्तित्व को प्रफुल्लित बनाना है तो हमेशा अपनी सोच की दिशा को सकारात्मक रखिए। किसी भी घटना, किसी भी विषय और किसी भी व्यक्ति के प्रति अच्छा सोचें, उसके विपरीत न सोचें। दूसरे के प्रति अच्छा सोचेंगे, तो आप स्वयं के प्रति ही अच्छा करेंगे। कटुता से कटुता बढ़ती है। मित्रता से मित्रता का जन्म होता है। आग, आग लगाती है और बर्फ ठंडक पहुंचाती है। 
 

सकारात्मक सोच बर्फ की डल्ली है जो दूसरे से अधिक खुद को ठंडक पहुंचाती है। यदि आप इस मंत्र का प्रयोग कुछ महीने तक कर सके तब आप देखेंगे कि आप के अंदर कितना बड़ा क्रांतिकारी परिवर्तन हो गया है। जो काम सैकड़ों ग्रंथों का अध्ययन नहीं कर सकता, सैकड़ों सत्संग नहीं कर सकते, सैकड़ों मंदिर की पूजा और तीर्थों की यात्राएं नहीं कर सकते, वह काम सकारात्मकता संबंधी यह मंत्र कर जाएगा। आपका व्यक्तित्व चहचहा उठेगा। आपके मित्रों और प्रशंसकों की लंबी कतार लग जाएगी।

आप जिससे भी एक बार मिलेंगे, वह बार-बार आपसे मिलने को उत्सुक रहेगा। आप जो कुछ भी कहेंगे, उसका अधिक प्रभाव होगा। लोग आपके प्रति स्नेह और सहानुभूति का भाव रखेंगे। इससे अनजाने में ही आपके चारों ओर एक आभा मंडल तैयार होता चला जाएगा। यही वह व्यक्तित्व होगा, जो अपने परीक्षण की कसौटी पर शत-प्रतिशत खरा उतरेगा-24 कैरेट स्वर्ण की तरह।