1–अच्छा कर्म करें मानो मिट्टी बन जाए सोना।
कभी बुरे संकल्पों से भी बुरे बीज मत बोना।
बीज कर्मों का बोना तो आसान है।
कर्म का फल चुकाना मुश्किल है।
उंगली गैरो पे उठाना तो आसान है।
कोई हमपे उठाए मुश्किल है।
बीज कर्मों का बोना तो आसान है।
2 अतिथि देवों भव दरवाजे पर पहले लिखा रहता था।
कुत्तों से रहो सावधान अब यही लिखा रहता है।
चार कुत्तों को खिलाना आसान है।
मां-बाप को खिलाना मुश्किल है।
घर में कुत्तों को घुमाना आसान है।
एक गैया को चराना मुश्किल है।
बीज कर्मों का बोना तो आसान है।
3–हिंदू धर्म की प्रथम निशानी चोटी सब रखते थे।
अब नए-नए सुंदर लड़के भी मौलाना सा बनते हैं।
मूल्ला मौलाना बन जाना तो आसान है।
सत्य पथ पर चल पाना मुश्किल है।
सब की नकले उतारना आसान है।
उनके कर्म को निभाना मुश्किल है।
बीज कर्मों का बोना तो आसान है।
4– राजनीति के गलियारे में ऊपर नीचे होती।
किसी का सिक्का चल जाता है।
किसी की लुटिया डूबी ।
राहुल गांधी बन जाना तो आसान है।
योगी मोदी बन पाना मुश्किल है।
सबको रास्ता बताना तो आसान है।
खुद को रास्ते को लाना मुश्किल है।
बीज कर्मों का बोना तो आसन है।
कर्म का फल चुकाना मुश्किल है।
*ओम शांति**
रचनाकार *–सुरेश चंद्र केशरवानी*
(प्रयागराज शंकरगढ़)
मोबाइल नंबर –9919245170