Saturday, May 21, 2016

Fathers Day (Happy Father Day)

 
 

पिता परिवार का सदा ही सहारा है ,
जीवन सरिता की निर्मल धारा है। 
पिता परिवार का सदा ही अनुशासन है ,
पिता पालन-पोषण प्रेम का अनुशासन है। 

पिता रोटी, कपड़ा और मकान है,
अपने परिवार की अनोखी शान है। 
पिता सुरक्षा है उनकी, जिनके सर पर हाथ है,
पिता न हो तो सबका बचपन अनाथ है।

घर का आकाश है पिता, घर का चिराग है, 
पिता से ही माँ की बिंदी और अटल सुहाग है। 
पिता से ही परिवार में प्रतिपल अनुराग है,
पिता से ही परिवार, एक खुशनुमा सा बाग है। 

दुनिया में किसी देवता का स्थान दूजा है, 
माँ-बाप की सेवा ही सब से बड़ी पूजा है। 
माँ-बाप के आशीर्वाद के हज़ारों हाथ है,
वो भाग्शाली है माँ-बाप के जो साथ है। 




Monday, May 16, 2016

नव वर्ष के नव प्रभात पर.....


नव वर्ष के नव प्रभात पर,
एक नया प्रकाश आया है। 
हिंदुस्तान के निवासियों को,
यह नवीन संदेश लाया है। 

जगमगाती हमेशा ज्योत रहे,
नववर्ष सदा खुशहाल रहे। 
आतंकवादियों को कर समाप्त,
भारत वर्ष हमेशा आबाद रहे। 

भारत वर्ष से भ्रष्टाचार हटाकर,
ईमान की मिसाल कायम होगी। 
महँगाई पर लगा अंकुश,
जनता में कुछ राहत होगी। 

भारत वर्ष सदा प्रगति करे,
काका भारतीय की मंगल कामना है। 
नववर्ष का करें स्वागत,
यह मेरी हार्दिक मन-भावना है। 

@@@@@ॐ @@@@@

Vande Mataram....

वन्दे मातमतरम , गईये 
भारत का मान बढाइये 
सम्प्रदायिक का सदभावना की,
प्रेम की धारा बहाइये। 

दानवता को दूर भाग।कर,
मानवता अपनाइये। 
आतंकी विस्फोट विरोध में,
सभी एक हो जाइये। 

सम्प्रदायिकता के जहर से 
हमे सदा ही बचना है। 
सदा रहे सभी प्रेम से,
सच्चा भारत बनाना है। 

हिंदुस्तान में अमन चैन रहे,
यह सब को संकल्प लेना है 
आतंककारी गतिविधियों को,
जड़ से सदा हटाना है।


संगम पर......


संगम पर आपने  दिए ऐसे वरदान 
जिस से जन जन का भला कर पऊ 
निस्वार्थ करू देश सेवा 
तन मन धन भी लुटा पऊ 

ब्राह्मण बन ज्ञान बांट कर 
अंधकार को दूर भगाऊ 
प्रकाश रुपी आत्मा दीप से 
देश में नई ज्योति जगाऊ 

संगम पर आपने  दिए ऐसे वरदान 
जिस से जन जन का भला कर पऊ 

Sunday, May 15, 2016

शिव भोले नटराज आज .......

शिव भोले नटराज आज,
तुम्हें प्रणाम करता हूँ। 
आपके भरोसे मैं सदा 
किसी से नहीं डरता हूँ। 

आपकी साक्षी में मर्यादाओं से,
मैं आज संकल्प करता हूँ। 
देश सेवा में निरन्तर लीन रहूं,
यही नम्र निवेदन करता हूँ। 

विद्या अरु बुद्धि का 
समन्वय आज है। 
आद्य गुरु कलामूर्ति 
साक्षी नटराज है। 

हे, महादेव, वरदान दो ऐसा,
सदाअर्पित जनसेवा में रहूँ।
ऊंच नीच का भेद त्याग 
जन जन की सेवा में रहूं।

सरस्वती माँ........

सरस्वती माँ शारदे ,
वरदान हमको दीजिए 
रात दिन हो स्मरण तेरा 
ऐसी कृपा अब कीजिये। . 
सरस्वती माँ........ 

मुर्ख हूँ  नादान हूँ  मैं ,
ध्यान से अनजान हूँ। 
तेरी शरण में आ गया हूँ। 
ज्ञान मुझको दीजिए।।

काव्य कौशल कुछ न जानु 
मात तुझको अपना मानू। 
पुत्र तेरा मानकर माँ। 
काव्य शक्ति दीजिए।
सरस्वती माँ........ 
 

Monday, April 11, 2016

आप को देख कर देखता रह गया - gazal

      

आप को देख कर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया

आते आते मेरा नाम सा रह गया
उसके होंठों पे कुछ कांपता रह गया

वो मेरे  सामने ही गया
और मैं रस्ते की तरह देखता रह गया




झूठ वाले कहाँ से कहाँ बढ़ गये
और मैं था के सच बोलता रह गया


आते आते मेरा नाम सा रह गया
उसके होंठों पे कुछ कांपता रह गया
आते आते मेरा नाम सा रह गया