मध्य प्रदेश की रहने वाली नूपुर की जीवन-यात्रा प्रेरणा से भरी हुई है। पेशे से वह पहले एक शिक्षिका थीं। पढ़ाना उनका कर्म था और विद्यार्थियों को सही दिशा देना उनका धर्म। लेकिन जीवन में कभी-कभी कोई नई सूचना, कोई नया ज्ञान हमारे भीतर छुपे सपनों को जगा देता है। नूपुर के साथ भी ऐसा ही हुआ।
एक दिन उनका संपर्क ज्योतिष से जुड़ी खबरों और लेखों से हुआ। यह विषय उन्हें इतना आकर्षित करने लगा कि उन्होंने इसे गहराई से समझने का निर्णय लिया। उन्होंने विधिवत ज्योतिष का कोर्स जॉइन किया और नियमित अध्ययन के साथ पूरे समर्पण से उसे पूर्ण किया।
नूपुर बताती हैं कि बचपन में उनका सपना डॉक्टर बनने का था। जीवन की परिस्थितियों में वह सपना अधूरा रह गया, कहीं न कहीं एक खालीपन था। लेकिन जब उन्होंने ज्योतिष को अपनाया, तो उन्हें लगा कि वही अधूरा सपना एक नए रूप में पूरा हो गया है—लोगों के जीवन की समस्याओं का समाधान करना, उन्हें मार्गदर्शन देना और मानसिक शांति देना।
“ज्योतिषाचार्य” और “शास्त्री” की उपाधि उन्हें सम्मान देती है, लेकिन वह साफ कहती हैं कि केवल डिग्री या उपाधि पर्याप्त नहीं होती।
उनके शब्दों में—
“असली ज्ञान अभ्यास से आता है। जब हम निरंतर प्रैक्टिस करते हैं, तभी हम विशेषज्ञ बनते हैं।”
हस्तरेखा शास्त्र, ग्रह-नक्षत्रों की गणना, गणितीय ज्योतिष और समय की सूक्ष्म गणनाएँ—ये सभी ज्योतिष के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। नूपुर मानती हैं कि हर समस्या का समाधान संभव है, बस सही मार्ग और सही ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
उनके अनुसार, सर्वोच्च शक्ति से जुड़ना ही सबसे बड़ा उपाय है। सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ने के कई मार्ग हो सकते हैं—प्रार्थना, अच्छे कर्म, या सेवा। कभी 21 दिनों तक गाय को हरा चारा देना, कभी ब्राह्मणों को भोजन कराना, तो कभी जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र देना—ये सभी कर्म अनजाने में भी हमारी ऊर्जा को सकारात्मक बना देते हैं।
नूपुर कहती हैं कि यह सब कोई नई बात नहीं, बल्कि सदियों पुरानी अनुभूतियों और अनुभवों का सार है—
“अच्छा करो, अच्छा बनो, और अच्छा ही पाओ।”
आज नूपुर ब्रह्माकुमारीज़ से भी जुड़ी हुई हैं और एक आध्यात्मिक रूप से समृद्ध जीवन का आनंद ले रही हैं। ज्योतिष और अध्यात्म का यह सुंदर संगम उनके जीवन को संतुलन, शांति और संतोष से भर रहा है।


